बुधवार, 20 मई 2020

गीत- मधुप उनको भाने लगा...


beautiful flies roaming around flowers




देखो इक भँवरा बागों में आकर
मधुर गीत गाने लगा
कभी पास आकर कभी दूर जाकर
अदाएं दिखाने लगा

पेड़ों की डाली पे झूले झुलाये
फूलों की खुशबू को वो गुनगुनाए
प्रीत के गीत गाकर वो चालाक भँवरा
पुष्पों को लुभाने लगा
कभी पास आकर कभी दूर जाकर
अदाएं दिखाने लगा ।

नहीं प्रेम उसको वो मकरन्द चाहता
इक बार लेकर कभी फिर न आता
मासूम गुल को बहकाये ये जालिम
स्वयं में फँसाने लगा
कभी पास आकर कभी दूर जाकर
अदाएं दिखाने लगा ।

सभी फूल की दिल्लगी ले रहा ये
वफा क्या ये जाने नहीं
यहाँ आज कल और जाने कहाँ ये
सदाएं भी माने नहीं
पटे फूल सारे रंगे इसके रंग में
मधुप उनको भाने लगा
कभी पास आकर कभी दूर जाकर
अदाएं दिखाने लगा ।

ना लौटा जो जाके तो गुल बिलबिलाके
राह उसकी तकने लगे
विरह पीर सहते , दलपुंज ढ़हते
नयन अश्रु बहने लगे
दिखी दूजि बगिया खिले फूल पर फिर
बेवफा गुनगुनाने लगा ।
कभी पास आकर कभी दूर जाकर
अदाएं दिखाने लगा ।


     चित्र साभार गूगल से



पढ़िए मानवीकरण पर आधारित एक और गीत
             ◆ पुष्प और भ्रमर





38 टिप्‍पणियां:

Anita Laguri "Anu" ने कहा…

. बेहद सुंदर गीत लिखा आपने...

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर रचना, सुधा दी।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

क्या बात क्या बात। खूबसूरत रचना।

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर नवगीत सखी

Alaknanda Singh ने कहा…

सभी फूल की दिल्लगी ले रहा ये
वफा क्या ये जाने नहीं
यहाँ आज कल और जाने कहाँ ये
सदाएं भी माने नहीं
पटे फूल सारे रंगे इसके रंग में
मधुप उनको भाने लगा
कभी पास आकर कभी दूर जाकर
अदाएं दिखाने लगा... प्रकृत‍ि के इस अद्भुत सौंदर्य को इस कोरोना काल में याद द‍िलाने के ल‍िए धन्यवाद सुधा जी

उर्मिला सिंह ने कहा…

अति ऊत्तम रचना।

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 21 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद ज्योति जी !

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार भाई!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद सखी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल सज धन्यवाद, आदरणीय!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद उर्मिला जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना
मंच पर साझा करने हेतु....
सादर आभार।

Jyoti khare ने कहा…

बहुत सुंदर गीत
बधाई

पढ़ें--लौट रहें हैं अपने गांव

Sarita Sail ने कहा…

बहुत ही सुंदर गीत

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ. सरिता जी !
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

फूल सारे रंगे इसके रंग में
मधुप उनको भाने लगा

बहुत सुंदर नवगीत

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रचना बहुत उम्दा रही

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार जोया जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना साझा करने हेतु...
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार गगन जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्यारी रचना. बधाई.

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नितीश जी!

Akhilesh shukla ने कहा…

बहुत सुंदर गीत ।

Akhilesh shukla ने कहा…

आनन्द गया आपके इस मकरन्द गीत जैसे भ्रमर गीत पढ रहे है । बहुत ही सुन्दर ।

विश्वमोहन ने कहा…

वाह! बहुत ही सुंदर गीत।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद अखिलेश जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार अखिलेश शुक्ला जी !
ब्लॉग पर आपका स्वागत है

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी !

~Sudha Singh vyaghr~ ने कहा…

बहुत सुंदर गीत नामना जी।👌👌👌

दिगम्बर नासवा ने कहा…

भवरों का तो अंदाज़ ही यही है ... पहले लुभाते हैं फिर रस चूस कर दूर हो जाते हिं ... पर कई बार ऐसे ही नव सृजन के बीज भी बो जाते हैं ... प्रेम, अनु-विनय, अनुराग, जुदाई के पलों को बाखूबी बाँधा है इस रचना के माध्यम से आपने .... बहुत सुन्दर रचना है ...

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार सुधा जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार नासवा जी!सुन्दर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु...।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. जोशी जी!

Meena Bhardwaj ने कहा…

प्रकृति का अद्भुत और मनोरम चित्रण । बेहतरीन व लाजवाब सृजन सुधा जी ।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद मीना जी उत्साहवर्धन हेतु।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब लिखा है बहुत ही सुंदर गीत।

फुर्सत मिले तो नाचीज की देहलीज पर भी आए
संजय भास्कर
https://sanjaybhaskar.blogspot.com

हो सके तो समभाव रहें

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