अतीती स्मृतियाँँ

प्रदत्त चित्र पर मेरी भावाभिव्यक्ति

Experience and past memories


फूल गुलाब तुम्हें भेजा जो
जाने कहाँ मुरझाया होगा
तुमने मेरे प्रेम पुष्प को
यूँ ही कहीं ठुकराया होगा

टूटा होगा तृण-तृण में वो
जैसे मेरा दिल है टूटा....
रोया होगा उस पल वो भी
जान तिरा वो प्रेम था झूठा
दिल पे पड़ी गाँठों को ऐसे
कब किसने सुलझाया होगा
फूल गुलाब तुम्हें भेजा जो
जाने कहाँ मुरझाया होगा

आज उन्हीं राहों पे आकर
देखो मैं जी भर रोया हूँ
प्यार में था तब प्यार में अब भी
तेरी यादों में खोया हूँ।
अतीत की उन मीठी बातों में
कैसे मन बहलाया होगा....
फूल गुलाब तुम्हें भेजा जो
जाने कहाँ मुरझाया होगा

एक बारगी लौट के आओ
देखो मेरा हाल है क्या
जीवन संध्या भी ढ़लती है
दिन हफ्ते या साल है क्या.
रिसते घावों के दर्द में ऐसे
मलहम किसने लगाया होगा
फूल गुलाब तुम्हें भेजा जो
जाने कहाँ मुरझाया होगा।।


टिप्पणियाँ

विश्वमोहन ने कहा…
वक़्त-बेवक्त की बातों में
जीवन के झंझावातों में।
तक-तक के आंखें बरस गईं
रातों की बरसातों में।
न नैन मुंदे न रैन गये
उषा ने अँजोर बिछाया होगा
फूल गुलाब तुमने भेजे जो
जाने कौन सजाया होगा। 😀🙏🙏🙏
Sudha Devrani ने कहा…
सादर आभार आदरणीय विश्वमोहन जी !
लाजवाब पंक्तियाँ🙏🙏🙏🙏🙏
हृदयतल से धन्यवाद आपका।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Meena Bhardwaj ने कहा…
आज उन्हीं राहों पे आकर
देखो मैं जी भर रोया हूँ
प्यार में था तब प्यार में अब भी
तेरी यादों में खोया हूँ।...
बहुत खूब !!
चित्र के साथ भाव जीवन्त हो उठे ।
Jyoti Dehliwal ने कहा…
प्रेम से ओतप्रोत बहुत ही सुंदर रचना, सुधा दी।
yashoda Agrawal ने कहा…
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 20 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
Sudha Devrani ने कहा…
सस्नेह आभार भाई !
Sudha Devrani ने कहा…
आभारी हूँ मीना जी!हृदयतल से धन्यवाद आपका।
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद ज्योति जी!
सस्नेह आभार।
Sudha Devrani ने कहा…
तहेदिल से धन्यवाद यशोदा जी !मेरी रचना साझा करने के लिए...
सादर आभार।
छाया चित्र पे रचना इतना आसन कार्य नहीं होता ... चित्र की भावनाओं को सजीव जिया है आपने ...
बहुत सुब्दर और सार्थक अभिव्यक्ति ...
Sudha Devrani ने कहा…
आपकी अनमोल सराहना पाकर रचना सार्थक हुई एवं श्रमसाध्य। तहेदिल से धन्यवाद मनोबल बढ़ाने हेतु।
सादर आभार ।
रेणु ने कहा…
आज उन्हीं राहों पे आकर
देखो मैं जी भर रोया हूँ
प्यार में था तब प्यार में अब भी
तेरी यादों में खोया हूँ।
अतीत की उन मीठी बातों में
कैसे मन बहलाया होगा....
फूल गुलाब तुम्हें भेजा जो
जाने कहाँ मुरझाया होगा..
प्रिय सुधा जी , ये रचना तो उसी दिन पढ़ ली थी पर इस भावपूर्ण सृजन पर प्रतिक्रिया देना तत्काल संभव ना हो सका| इतनी भावपूर्ण रचना कि पढ़कर अनायास आँखें नम हो जाएँ | अगर ये चित्र पर लेखन है तो मैं कहूंगी इससे बेहतर शायद कोई लिख ना पाता| पुरानी राहों पर आकर यादों से मिलना कितना दर्दनाक होता होगा | अत्यंत सराहनीय रचना के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं |
मन की वीणा ने कहा…
बहुत सुंदर सृजन सुधा जी।
मन को स्पर्स करते कोमल भाव।
Sudha Devrani ने कहा…
आभारी हूँ सखी! हृदयतल से धन्यवाद आपका उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु।
Sudha Devrani ने कहा…
हृदयतल से धन्यवाद आ.कुसुम जी !
आत्मिक आभार।
sachin kumar ने कहा…
अतिसुंदर अभिव्यक्ति 🌷👌👍
Sudha Devrani ने कहा…
अत्यंत आभार आपका सचिन जी !
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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