शरद पूनम के चाँद
तुम प्रदूषण मुक्त रहोगे न
शरद पूनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न.....
खीर का दोना रखा जो छत पे
अमृत उसमें भर दोगे न....
सोलह कलाओं से युक्त चन्द्र तुम
पवित्र सदा ही रहोगे न........
चाँदी से बने,सोने से सजे
तुम आज धरा के कितने करीब !
फिर भी उदास से दिखते मुझे
क्या दिखती तुम्हें भी धरा गरीब...?
चौमासे की अति से दुखी धरा का
कुछ तो दर्द हरोगे न....
कौजागरी पूनम के चन्द्र हमेशा
सबके रोग हरोगे न .......
सूरज ने ताप बढ़ाया अपना
सावन भूला रिमझिम सा बरसना
ऐसे ही तुम भी "ओ चँदा " !
शीतलता तो नहीं बिसरोगे न...
रास पूनम के चन्द्र हमेशा
रासमय यूँ ही रहोगे न....
शरद पूनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न........
चित्र साभार गूगल से..
चित्र साभार गूगल से..
टिप्पणियाँ
वाह सृजन।
सादर आभार।
सस्नेह आभार...
सावन बिसरा रिमझिम सा बरसना
ऐसे ही तुम भी "ओ चँदा " !
शीतलता तो नहीं बिसरोगे न...
चंदा से बड़ा महत्वपूर्ण सवाल
लाजबाब सृजन सुधा जी ,सादर नमन
रासमय यूँ ही रहोगे न....
शरद पुनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न........ बेहद खूबसूरत रचना सखी
सस्नेह आभार....
सस्नेह आभार आपका...
इतनी सुंदर रचना के लिए बधाई सुधा जी
रास पुनम के चन्द्र हमेशा
रासमय यूँ ही रहोगे न....
शरद पुनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न....
बहुत ही मासूम और सुंदर सवाल सुधा दी।
सस्नेह आभार ।
तुम आज धरा के कितने करीब !
फिर भी उदास से दिखते मुझे
क्या दिखती तुम्हें भी धरा गरीब...?
हृदयस्पर्शी.. अत्यंत सुन्दर । शरद पूर्णिमा के चाँद से बेहतरीन वार्तालाप । बहत मनभावन सृजन सुधा जी ।
कृपया पूनम कर लें।
ठीक नहीं था...? अब ठीक कर लिया हृदयतल से धन्यवाद आपका गलती सुधार करवाकर मार्गदर्शन के लिए....।
सादर आभार।
सादर आभार...
सादर आभार ...