तुम प्रदूषण मुक्त रहोगे न
शरद पूनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न.....
खीर का दोना रखा जो छत पे
अमृत उसमें भर दोगे न....
सोलह कलाओं से युक्त चन्द्र तुम
पवित्र सदा ही रहोगे न........
चाँदी से बने,सोने से सजे
तुम आज धरा के कितने करीब !
फिर भी उदास से दिखते मुझे
क्या दिखती तुम्हें भी धरा गरीब...?
चौमासे की अति से दुखी धरा का
कुछ तो दर्द हरोगे न....
कौजागरी पूनम के चन्द्र हमेशा
सबके रोग हरोगे न .......
सूरज ने ताप बढ़ाया अपना
सावन भूला रिमझिम सा बरसना
ऐसे ही तुम भी "ओ चँदा " !
शीतलता तो नहीं बिसरोगे न...
रास पूनम के चन्द्र हमेशा
रासमय यूँ ही रहोगे न....
शरद पूनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न........
चित्र साभार गूगल से..
चित्र साभार गूगल से..
31 टिप्पणियां:
सुन्दर रचना सखी
वाह ,सार्थक सृजन
वाह सुधा जी कितनी मासूम सी जिज्ञासा है आपकी रचना में चांद जैसी ही कोमल आभार युक्त।
वाह सृजन।
आभा युक्त पढ़े कृपया।
हृदयतल से आभार, अभिलाषा जी !
शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया।
आपको भी शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं....
सादर आभार।
हृदयतल से आभार , अनीता जी !
हार्दिक धन्यवाद कुसुम जी !
सस्नेह आभार...
सूरज ने ताप बढ़ाया अपना
सावन बिसरा रिमझिम सा बरसना
ऐसे ही तुम भी "ओ चँदा " !
शीतलता तो नहीं बिसरोगे न...
चंदा से बड़ा महत्वपूर्ण सवाल
लाजबाब सृजन सुधा जी ,सादर नमन
रास पुनम के चन्द्र हमेशा
रासमय यूँ ही रहोगे न....
शरद पुनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न........ बेहद खूबसूरत रचना सखी
हृदयतल से धन्यवाद पम्मी जी !
सस्नेह आभार....
आभारी हूँ कामिनी जी !उत्साहवर्धन के लिए...बहुत बहुत धन्यवाद आपका...।
हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी !
सस्नेह आभार आपका...
वाह ! बहुत ही सटीक प्रश्न चाँद से !
इतनी सुंदर रचना के लिए बधाई सुधा जी
रास पुनम के चन्द्र हमेशा
रासमय यूँ ही रहोगे न....
शरद पुनम के चाँद हमेशा
धवल चाँदनी दोगे न....
बहुत ही मासूम और सुंदर सवाल सुधा दी।
आभारी हूँ मीना जी !बहुत बहुत धन्यवाद आपका...
आभार ही ज्योति जी ! हार्दिक आभार आपका...
हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी! निरन्तर सहयोग एवं उत्साहवर्धन के लिए...।
सस्नेह आभार ।
चाँदी से बने,सोने से सजे
तुम आज धरा के कितने करीब !
फिर भी उदास से दिखते मुझे
क्या दिखती तुम्हें भी धरा गरीब...?
हृदयस्पर्शी.. अत्यंत सुन्दर । शरद पूर्णिमा के चाँद से बेहतरीन वार्तालाप । बहत मनभावन सृजन सुधा जी ।
सहज सरल.शब्दों में लिखी गयी आपकी रचना बहुत सारे अर्थ समेटे हुई है। प्रकृति का खूबसूरत शृंगार चाँद मानव मन के भावों को.स्पंदित कर जाता है। बहुत अच्छी कृति सुधा जी।
उत्साहवर्धन करती सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार मीना जी !
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी !आपकी प्रतिक्रिया हमेशा उत्साह द्विगुणित करती है।
वाह।
कृपया पूनम कर लें।
उच्चारण और लयबद्धता के कारण पुनम लिखा था
ठीक नहीं था...? अब ठीक कर लिया हृदयतल से धन्यवाद आपका गलती सुधार करवाकर मार्गदर्शन के लिए....।
सादर आभार।
ओह ओह ...आजकल इतना सच सच क्यों लिख रही हैं आप...वह भी इतनी सुंदरता से
कोमल सी चाह .... और चंदा भी हमेशा तत्पर रहता है वही शीतलता, धवल चांदनी का अमृत बरसाने को ... पर क्या मनुष्य ऐसा होने देगा ... क्या पर्यावरण को रख पायेगा सुरक्षित ... शरद का चाँद तो हमेशा से रोग मुक्त करता आया है ... बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण राचना है ...
बहुत बहुत धन्यवाद नासवा जी !
सादर आभार...
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद संजय जी !
बहुत शानदार
बहुत बहुत धन्यवाद लोकेश जी !
सादर आभार ...
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