रिमझिम रिमझिम बरखा आई

चौपाई छंद रिमझिम रिमझिम बरखा आई । धरती पर हरियाली छायी ।। आतप से अब राहत पायी । पुलकित हो धरती मुस्काई ।। खेतों में फसलें लहराती । पावस सबके मन को भाती ।। भक्ति भाव में सब नर नारी । पूजें शिव शंकर त्रिपुरारी ।। सावन में शिव वंदन करते । भोले कष्ट सभी के हरते ।। बिल्वपत्र घृत दूध चढ़ाते । दान भक्ति से पुण्य कमाते ।। काँवड़ ले काँवड़िये जाते । गंंगाजल सावन में लाते ।। बम बम भोले का जयकारा । अंतस में करता उजियारा ।। नारी सज धज तीज मनाती । कजरी लोकगीत हैं गाती ।। धरती ओढ़े चूनर धानी । सावन रिमझिम बरसे पानी ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏🙏 पढिए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर ● पावस में इस बार
पतझड़ से झड़ जायें उनके दुख,कोंपल सुख की दे दो...
जवाब देंहटाएंऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।
बहुत खूब......, लोक कल्याण के भावों से लबरेज अप्रतिम रचना सुधा जी ।
आपका हृदयतल से धन्यवाद,मीना जी!
हटाएंसादर आभार....
वाह सुधा जी बहुत कोमल और सुंदर भावों वाली सुंदर रचना ।प्रभु आपकी सभी मनोकामनाएं फलीभूत करे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद, कुसुम जी
हटाएंसस्नेह आभार...
वाह!!सुधा जी ,बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद, शुभा जी !
हटाएंसस्नेह आभार....
सुनो न ! अब की कुछ तो नया कर दो.........
जवाब देंहटाएंऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो।
आपकी कलम से निकली इस उत्कृष्ट रचना की जितनी भी तारीफ करूँ, कम होगी। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय सुधा देवरानी जी।
उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार, पुरुषोत्तम जी !
हटाएंअब को कुछ नया कर दो .......अबकी सबको खुशियों की वजह दे दो ,बहुत खूब सुधा जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार रितु जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया
जवाब देंहटाएंसरहद पे डटे जिनके पिय, विरहिणी की दशा क्या होगी
तेरी शीतल बयार भी, शूलों सी चुभती होगी,
छू कर विरहा मन को, एहसास मधुर दे दो......
ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।
बहुत बहुत धन्यवाद, रविन्द्र जी !
हटाएंसादर आभार...
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हृदयतल से आभार श्वेता जी मेरी रचना को विशेषांक में जगह देने के लिए...
जवाब देंहटाएंसरहद पे डटे जिनके पिय, विरहिणी की दशा क्या होगी
जवाब देंहटाएंतेरी शीतल बयार भी, शूलों सी चुभती होगी,
छू कर विरहा मन को, एहसास मधुर दे दो......बहुत खूब ,लाजवाब