बीती ताहि बिसार दे

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  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

ऐ वसंत! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ....


hello spring

                     चित्र : साभार Shutterstock से



ऐ रितुराज वसंत ! तुम तो बहुत खुशनुमा हो न !!!
आते ही धरा में रंगीनियां जो बिखेर देते हो !
बिसरकर बीती सारी आपदाएं 
खिलती -मुस्कराती है प्रकृति, मन बदल देते हो,
सुनो न ! अब की कुछ तो नया कर दो !
ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो।

हैं जो दुखियारे, जीते मारे -मारे
कुछ उनकी भी सुन लो, कुछ दुख तुम ही हर लो,
पतझड़ से झड़ जायें उनके दुख,कोंपल सुख की दे दो !
ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।

तेरे रंगीन नजारे, आँखों को तो भाते हैं ।
पर  लब ज्यों ही खिलते हैं, आँसू भी टपक जाते हैं,
अधरों की रूठी मुस्कानो को हंसने की वजह दे दो !
ऐ वसंत! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।

तेरी ये शीतल बयार, जख्मों को न भाती है
भूले बिसरे घावों की,पपड़ी उड़ जाती है,
उन घावों पर मलने को, कोई मलहम दे दो !
ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।

तरसते है जो भूखे, दो जून की रोटी को
मधुमास आये या जाये, क्या जाने वे तुझको,
आने वाले कल की,उम्मीद नयी दे दो !
ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।

सरहद पे डटे जिनके पिय, विरहिणी की दशा क्या होगी
तेरी शीतल बयार भी,  शूलों सी चुभती होगी,
छू कर विरहा मन को,  एहसास मधुर दे दो !
ऐ वसंत !  तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।

खिल जायेंं अब सब चेहरे, हट जायें दुख के पहरे
सब राग - बसंती गायें, हर्षित मन सब मुस्कुराएं,
आये अमन-चैन की बहारें, निर्भय जीवन कर दो 
ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।



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टिप्पणियाँ

  1. पतझड़ से झड़ जायें उनके दुख,कोंपल सुख की दे दो...
    ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।
    बहुत खूब......, लोक कल्याण के भावों से लबरेज अप्रतिम रचना सुधा जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका हृदयतल से धन्यवाद,मीना जी!
      सादर आभार....

      हटाएं
  2. वाह सुधा जी बहुत कोमल और सुंदर भावों वाली सुंदर रचना ।प्रभु आपकी सभी मनोकामनाएं फलीभूत करे।
    बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद, कुसुम जी
      सस्नेह आभार...

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद, शुभा जी !
      सस्नेह आभार....

      हटाएं
  4. सुनो न ! अब की कुछ तो नया कर दो.........
    ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो।
    आपकी कलम से निकली इस उत्कृष्ट रचना की जितनी भी तारीफ करूँ, कम होगी। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय सुधा देवरानी जी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार, पुरुषोत्तम जी !

      हटाएं
  5. अब को कुछ नया कर दो .......अबकी सबको खुशियों की वजह दे दो ,बहुत खूब सुधा जी

    जवाब देंहटाएं
  6. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार रितु जी !

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया
    सरहद पे डटे जिनके पिय, विरहिणी की दशा क्या होगी
    तेरी शीतल बयार भी, शूलों सी चुभती होगी,
    छू कर विरहा मन को, एहसास मधुर दे दो......
    ऐ वसंत ! तुम सबको खुशियों की वजह दे दो ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद, रविन्द्र जी !
      सादर आभार...

      हटाएं
  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  9. आपका हृदयतल से आभार श्वेता जी मेरी रचना को विशेषांक में जगह देने के लिए...

    जवाब देंहटाएं
  10. सरहद पे डटे जिनके पिय, विरहिणी की दशा क्या होगी
    तेरी शीतल बयार भी, शूलों सी चुभती होगी,
    छू कर विरहा मन को, एहसास मधुर दे दो......बहुत खूब ,लाजवाब

    जवाब देंहटाएं

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