आई है बरसात (रोला छंद)

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अनुभूति पत्रिका में प्रकाशित रोला छंद आया सावन मास,  झमाझम बरखा आई। रिमझिम पड़े फुहार, चली शीतल पुरवाई। भीनी सौंधी गंध, सनी माटी से आती। गिरती तुहिन फुहार, सभी के मन को भाती ।। गरजे नभ में मेघ, चमाचम बिजली चमके । झर- झर झरती बूँद, पात मुक्तामणि दमके । आई है बरसात,  घिरे हैं बादल काले । बरस रहे दिन रात, भरें हैं सब नद नाले ।। रिमझिम पड़े फुहार, हवा चलती मतवाली । खिलने लगते फूल, महकती डाली डाली । आई है बरसात, घुमड़कर बादल आते । गिरि कानन में घूम, घूमकर जल बरसाते ।। बारिश की बौछार , सुहानी सबको लगती । रिमझिम पड़े फुहार, उमस से राहत मिलती । बहती मंद बयार , हुई खुश धरती रानी । सजी धजी है आज, पहनकर चूनर धानी ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏 पढ़िए बरसात पर एक और रचना निम्न लिंक पर ●  रिमझिम रिमझिम बरखा आई

बवाल मच गया

सुन सुन कान पक गये,
     उसके तो उम्र भर....
इक लब्ज जो कहा तो बवाल मच गया !!!


झुक-झुक के ताकने की
कोशिश सभी किये थे,
घूरती नजर के बाणों से
     तन बिधे थे,
ललचायी थी निगाहें
 नजरों से चाटते थे......
घूँघट स्वयं उठाया तो बवाल मच गया !!!


अपने ही इशारों पे नचाते
     रहे सदियों से,
कठपुतली सी उसे यूँ ही घुमाते
    रहे अंगुलियोंं पे,
साधन विलास का उसे
    समझा सदा तूने
जब पाँव स्वयं थिरके तो बवाल मच गया !!!


सदा नाचते -गाते घोड़ी पे चढे़ दूल्हे
          अपने ही ब्याह में,
इस बार नच ली दुल्हन तो बवाल मच गया !!!

       







टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. सटीक !दोहरी मानसिकता पर प्रहार करती रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी ! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।

      हटाएं
  3. सच है नारी का मौन बन्ध्या रूप सभी को प्रिय है।वह तभी तक संस्कारी मानी जाती है जब तक वह अपनी पीड़ा को भीतर ही भीतर पीती रहती हैं, जैसे ही उसने होंठ खोले बवाल नहीं भूकम्प और सुनामी सारे आ जाते हैं। एक बेबाक रचना के लिये बधाई प्रिय सुधा जी ❤

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना का सार स्पष्ट करती आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु दिल से धन्यवाद एवं आभार रेणु जी !

      हटाएं
  4. क्या बात है दोहरी मानसिकता पर प्रहार करेंगी तो बवाल तो मचेगा ही न☺️

    जवाब देंहटाएं

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