श्राद्ध में करें तर्पण (मनहरण घनाक्षरी)

श्राद्ध में करें तर्पण, श्रद्धा मन से अर्पण, पितरों को याद कर, पूजन कराइये । ब्राह्मण करायें भोज, उन्नति मिलेगी रोज, दान, दक्षिणा, सम्मान, शीष भी नवाइये । पिण्डदान का विधान, पितृदेव हैं महान, बैतरणी करें पार गयाजी तो जाइये । तर्पण से होगी मुक्ति, श्राद्ध है पावन युक्ति, पितृलोक से उद्धार, स्वर्ग पहुँचाइये । पितृदेव हैं महान, श्राद्ध में हो पिण्डदान, जवा, तिल, कुश जल, अर्पण कराइये । श्राद्ध में जिमावे काग, श्रद्धा मन अनुराग, निभा सनातन रीत, पितर मनाइये । पितर आशीष मिले वंश खूब फूले फले , सुख समृद्धि संग, खुशियाँ भी पाइये । सेवा करें बृद्ध जन, बात सुने पूर्ण मन, विधि का विधान जान, रीतियाँ निभाइये । हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और मनहरण घनाक्षरी छंद ● प्रभु फिर आइए
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द परआप भी आइएगा....धन्यवाद!
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद सखी !
हटाएंसटीक !दोहरी मानसिकता पर प्रहार करती रचना।
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी ! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।
हटाएंसच है नारी का मौन बन्ध्या रूप सभी को प्रिय है।वह तभी तक संस्कारी मानी जाती है जब तक वह अपनी पीड़ा को भीतर ही भीतर पीती रहती हैं, जैसे ही उसने होंठ खोले बवाल नहीं भूकम्प और सुनामी सारे आ जाते हैं। एक बेबाक रचना के लिये बधाई प्रिय सुधा जी ❤
जवाब देंहटाएंरचना का सार स्पष्ट करती आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु दिल से धन्यवाद एवं आभार रेणु जी !
हटाएंक्या बात है दोहरी मानसिकता पर प्रहार करेंगी तो बवाल तो मचेगा ही न☺️
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