करते रहो प्रयास (दोहे)

1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास । नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास । सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर । करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास । सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास । सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (३१-०५-२०२०) को शब्द-सृजन-२३ 'मानवता,इंसानीयत' (चर्चा अंक-३७१८) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
हार्दिक धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना साझा करने हेतु।
हटाएंबहुत सुंदर सृजन सखी,सच मानव अगर अपनी दुर्बल भावनाओं पर जीत हासिल कर लें तो विश्व स्वर्ग बन जाए ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव सार्थक चिंतन।
तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी! उत्साहवर्धन हेतु...
हटाएंसस्नेह आभार।
बहुत सुन्दर सृजन सुधा जी ! रचना में आपने मानव मन की कमजोरियों के साथ-साथ उनको दूर करने का मार्गदर्शन भी किया है । सकारात्मक चिन्तन युक्त रचना ।
जवाब देंहटाएंमन,बुद्धि,मानवता,ज्ञान और आत्मज्ञान पर सटीक एवं सार्थक अभिव्यक्ति। जीवन की दुरूहता को समझने के लिए भारतीय मनीषा में परिष्कृष्त ज्ञान का अक्षय भंडार है जिसे परिमार्जित करने की सतत प्रक्रिया अनवरत चलती रहे।
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