करते रहो प्रयास (दोहे)
1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास । नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास । सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर । करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास । सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास । सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार।
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है काश आपका परिचय प्राप्त होता।
कर्तव्य का बोध कराती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!
हटाएंसहज भाव बोला दीपक, देव !
जवाब देंहटाएं"विश्वास भर रखना"........
कर्तव्य सदा निभाऊंगा, मुझ पर
आश बस रखना.......
हाँ सहज भाव से स्वीकार कर्त्तव्य ही सर्वोच्च पुरुस्कार है।
सस्नेह आभार भाई!
हटाएंवाह!सुंदर सृजन सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद शुभा जी!
हटाएंलाजवाब सुधा जी, सच कहूं तो शब्द नहीं है मेरे पास इस अद्वितीय भावों पर क्या लिखूं बस मन गद गंद हो गया सार्थक भाव सृजन ।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी स्नेहिल प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु...।
हटाएंसादर आभार।