और एक साल बीत गया
प्रदत्त पंक्ति ' और एक साल बीत गया' पर मेरा एक प्रयास और एक साल बीत गया दिन मास पल छिन श्वास तनिक रीत गया हाँ ! और एक साल बीत गया ! ओस की सी बूँद जैसी उम्र भी टपक पड़ी अंत से अजान ऐसी बेल ज्यों लटक खड़ी मन प्रसून पर फिर से आस भ्रमर रीझ गया और एक साल बीत गया ! साल भर चैन नहीं पाने की होड़ लगी और, और, और अधिक संचय की दौड़ लगी भान नहीं पोटली से प्राण तनिक छीज गया और एक साल बीत गया ! जो है सहेज उसे चैन की इक श्वास तो ले जीवन उद्देश्य जान सुख की कुछ आस तो ले मन जो संतुष्ट किया वो ही जग जीत गया और एक साल बीत गया ! नववर्ष के अग्रिम शुभकामनाओं के साथ पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर -- ● नववर्ष मंगलमय हो
गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर बिटियों का होंसला बढ़ाती अनुपम भेंट।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद भाई!
हटाएंबेटियों को ओज भरा आह्वान करती सुंदर सार्थक रचना सुधा जी प्रेरणादायक सृजन।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद, कुसुम जी!
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना बेटियो का उत्साह वर्धन सुधा जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद रितु जी!
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना...आज के समय की माँग यही है....
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार नैनवाल जी!
हटाएंनिर्भया ज्योति थी माँ-पापा की ,
जवाब देंहटाएंतम उनका भी मिटाओ ना........
ऐसे दरिन्दो का काल बनो तुम ,
इतिहास नया ही रचाओ ना ।
आज के समय के मद्देनजर बहुत ही सटीक रचना सुधा दी।
तहेदिल से धन्यवाद, ज्योति जी!
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