करते रहो प्रयास (दोहे)
1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास । नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास । सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर । करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास । सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास । सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 27 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद आ.यशोदा जी!मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु।
हटाएंसादर आभार।
समय के साथ माँ का व्यवहार बच्चे के जीवन को सही दिशा देने के लिए बदलता रहता है।
जवाब देंहटाएंबच्चे का मासूम प्रश्न।
बहुत सुंदर रचना प्रिय सुधा जी।
सस्नेह।
जी, पर बच्चे कहाँ समझते हैं या सब समझते हुए माँ से छूट लेने के लिए मासूम सवालों में उलझाते हैं...
हटाएंसहृय धन्यवाद एवं आभार आपका।
कुछ बच्चे बहुत भावुक होते हैं। उनके मन में अनगिन प्रश्न तैरते रहते हैं। उन्हें क्या पता------ मां एक काम अनेक। बच्चा जब अबोध होता है तो उसका हर काम मां की जिम्मेवारी होती है पर बड़ा होने पर भी उसके मन कहीं न कहीं ये लालसा बनी रहती है कि मां उसे बच्चा ही समझे। बालक के इन्हीं मासूम भावों में बंधी रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंजी रेणु जी! रचना का भाव स्पष्ट कर सराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
हटाएंकविता पढ़ते पढ़ते बालपन में मन प्रवेश कर गया। यही कविता की उपलब्धि है। बधाई!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका।
हटाएंबच्चों के मासूम प्रश्न और माँ की सही ज़िम्मेदारी ...खूबसूरती से शब्दों में बांधा है ।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपकाउत्साहवर्धन हेतु।
हटाएंउम्र के साथ साथ माँ का बच्चों के प्रति व्यवहार कैसा बदलता है और इससे बच्चे के मन मे कैसे कैसे सवाल आते है इसका बहुत ही सुंदर वर्णन किया है आपने सुधा दी।
जवाब देंहटाएंजी, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी! रचना का मर्म स्पष्ट करने हेतु।
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