बीती ताहि बिसार दे

चित्र
  स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं।  पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं ।  परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है  ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे ।   ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...

मन में भरे उमंग, मनोहर पावन सावन

Rainy season

 


सावन बरसा जोर से, नाच उठा मनमोर ।

कागज की कश्ती बही , बाल मचाये शोर ।।

बाल मचाये शोर, पींग झूले की भरते ।

रिमझिम बरसे मेघ, भीग अठखेली करते ।।

कहे सुधा सुन मीत, कि पावस है मनभावन ।

मन में भरें उमंग, मनोहर पावन सावन ।।


आया सावन मास अब, मन शिव में अनुरक्त ।

पूजन अर्चन जग करे, शिव शिव जपते भक्त ।।

शिव शिव जपते भक्त, चल रहे काँवर टाँगे ।

करते शिव अभिषेक,  मन्नतें प्रभु से माँगे ।।

चकित सुधा करजोरि, देखती शिव की माया ।

भक्ति भाव उल्लास ,  लिये अब सावन आया ।।


टिप्पणियाँ

  1. अरे वाह्ह दी बरसा ऋतु का मनमोहक चित्र खींचती बहुत सुंदर कुंडलिनी।
    प्रणाम दी
    सादर।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०६-०८-२०२३) को 'क्यूँ परेशां है ये नज़र '(चर्चा अंक-४६७५ ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर, सावन मे शिवभक्ति में लीन काँवर यात्रा का अनुभव अनमोल है🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. भोले की भक्ति में सरोबर सुंदर …

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  5. सावन की मनमोहक छटा बिखेरती सुंदर रचना

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  6. गोपेश मोहन जैसवाल21 अगस्त 2023 को 7:13 pm बजे

    जय भोले शंकर !
    सुधा जी, आपकी वन्दना सुन कर भोले बाबा अति प्रसन्न होंगे.
    हमारे घर के पास विशाल गौरी शंकर मन्दिर है.
    सावन के हर सोमवार को तो वहां भक्तों का मेला सा लग जाता है.

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  7. वाह! सुधा जी ,भक्ति भाव से भीगी हुई सुन्दर प्रस्तुति

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  8. सावन मास पर बहुत सुंदर मनहर कुंडलियां।

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