शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

आस का वातावरण फिर, इक नया विश्वास लाया



Hopfull way

आस का वातावरण फिर, 

इक नया विश्वास लाया ।

सो रहे सपनों को उसने,

आज फिर से है जगाया ।


चाँद ज्यों मुस्का के बोला,

चाँदनी भी दूर मुझसे ।

हाँ मैं तन्हा आसमां में,

पर नहीं मजबूर खुद से ।

है अमावश का अंधेरा,

पूर्णिमा में खिलखिलाया ।

आस का वातावरण फिर,

 इक नया विश्वास लाया ।



शूल से आगे निकल कर,

शीर्ष पर पाटल है खिलता ।

रात हो कितनी भी काली,

भोर फिर सूरज निकलता ।

राह के तम को मिटाने,

एक जुगनू टिमटिमाया ।

आस का वातावरण फिर,

इक नया विश्वास लाया ।


 

चाह से ही राह मिलती,

मंजिलें हैं मोड़ पर ।

कोशिशें अनथक करें जो,

संकल्प मन दृढ़ जोड़ कर ।

देख हर्षित हो स्वयं फिर,

साफल्य घुटने टेक आया ।

आस का वातावरण फिर,

इक नया विश्वास लाया ।


24 टिप्‍पणियां:

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद अनीता जी! मेरी रचना को चर्चा मंच में साझा करने हेतु ।
सस्नेह आभार।

रेणु ने कहा…

आस का वातावरण फिर, ^
इक नया विश्वास लाया ।
सो रहे सपनों को उसने,
आज फिर से है जगाया ।
बहुत सार्धक रचना प्रिय सुधा जी।आखिर उम्मीद पर ही तो ये दुनिया कायम है।सस्नेह बधाई और शुभकामनाएं ❤❤🌹🌹

शुभा ने कहा…

वाह!सुधा जी ,बहुत खूब!

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जीआपकी सराहनीय प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ ।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद शुभा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सादर धन्यवाद एवं आभार आ. आलोक जी !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आशा का संचार करती प्रेरक रचना ।

Onkar ने कहा…

सुंदर रचना

Sweta sinha ने कहा…

सकारात्मक ऊर्जा का अलौकिक गान है आपकी रचना।
निराशा और विपरीत मनोस्थिति से लड़ते मन में नवीन उत्साह का संचार करती रचना के लिए बहुत बधाई सुधा जी।
सस्नेह।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ. संगीता जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हसादर आभार एवं धन्यवाद आ.ओंकार जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार सु-मन जी !

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय श्वेता जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद जवं आभार कामिनी जी ! मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु ।

Meena Bhardwaj ने कहा…

चाह से ही राह मिलती,
मंजिलें हैं मोड़ पर ।
कोशिशें अनथक करें जो,
संकल्प मन दृढ़ जोड़ कर ।
सकारात्मक विचारों का संचार करती अत्यंत सुन्दर
भावाभिव्यक्ति ।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…


शूल से आगे निकल कर,

शीर्ष पर पाटल है खिलता ।

रात हो कितनी भी काली,

भोर फिर सूरज निकलता ।

राह के तम को मिटाने,

एक जुगनू टिमटिमाया ।

आस का वातावरण फिर,

इक नया विश्वास लाया । .
आजकल जैसे निराशाओं का दौर चल रहा है ।
समय के दुष्चक्र को दुत्कारती, मनुष्य जीवन में आशा और विश्वास का संचार करती सुंदर रचना ।
बधाई प्रिय सुधा जी ।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार मीना जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवादजिज्ञासा जी !
सस्नेह आभार ।

ARMAN ANSARI ने कहा…

डॉ 0 विभा नायक ने कहा…

आशाएं ही तो जीवन हैं। बहुत खूब

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना.......... शुभकामनायें ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

विश्वास के सकारात्मक भाव हमेशा मन को आनद देते हैं ...
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है ...

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार नासवा जी !

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