गुरुवार, 20 जनवरी 2022

कहाँ गये तुम सूरज दादा ?

 

Winter sun



कहाँ गये तुम सूरज दादा ?

क्यों ली अबकी छुट्टी ज्यादा ?

ठिठुर रहे हैं हम सर्दी से,

कितना पहनें और लबादा ?


दाँत हमारे किटकिट बजते ।

रोज नहाने से हम डरते ।

खेलकूद सब छोड़-छाड़ हम,

ओढ़ रजाई ठंड से लड़ते ।


क्यों देरी से आते हो तुम ?

साँझ भी जल्दी जाते क्यों तुम ?

अपनी धूप भी आप सेंकते,

दिनभर यूँ सुस्ताते क्यों तुम ?


धूप भी देखो कैसी पीली ।

मरियल सी कुछ ढ़ीली-ढ़ीली ।

उमस कहाँ गुम कर दी तुमने 

जलते ज्यों माचिस की तीली ।


शेर बने फिरते गर्मी में ।

सिट्टी-पिट्टी गुम सर्दी में ।

घने कुहासे से डरते क्यों ?

आ जाओ ऊनी वर्दी में !


निकल भी जाओ सूरज दादा ।

जिद्द न करो तुम इतना ज्यादा।

साथ तुम्हारे खेलेंगे हम,

लो करते हैं तुमसे वादा ।


कोहरे को अब दूर भगा दो !

गर्म-गर्म किरणें बिखरा दो !

राहत दो ठिठुरे जीवों को,

आ जाओ सबको गरमा दो !



39 टिप्‍पणियां:

Amrita Tanmay ने कहा…

इतनी मीठी मनुहार । मन झूम उठा । अब दादा जी को आना ही पड़ेगा । बहुत ही सुन्दर सृजन ।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (२१-०१ -२०२२ ) को
'कैसे भेंट करूँ? '(चर्चा अंक-४३१६)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार अमृता जी!सुन्दर सराहनीय प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद एवं आभार, प्रिय अनीता जी! मेरी रचना का चयन करने हेतु।
सस्नेह आभार।

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

बहुत ही ज्यादा सुंदर कविता... इतनी प्यारी मनुहार के बाद तो सूरज दादा को आना ही पड़ेगा...

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत ही लाजवाब कविता

Anita ने कहा…

वाह! कितने सुंदर शब्दों में सर्दी से परेशान लोगों की कथा-व्यथा को आपने व्यक्त किया है, बहुत बहुत बधाई!

Onkar ने कहा…

सुंदर कविता

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर बाल गीत

Anuradha chauhan ने कहा…

वाह बेहद खूबसूरत गीत।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नैनवाल जी आज आ गये सूरज दादा..लगता है मनुहार सुन ली इन्होंने।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार राजपुरोहित जी!ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद अनीता जी!
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ओंकार जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक जी!

मन की वीणा ने कहा…

सूरज दादा के दरबार में अरदास करती शानदार पंक्तियाँ।
जाड़े और साथ ही कोहरे ने जबरदस्त आतंक मचा रखा है ।
कोमल बाल कविता से मिल ।
बहुत सुंदर सृजन सुधा जी।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

बहुत सुंदर, शानदार रचना।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही प्यारी बाल कविता।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

निकल भी जाओ सूरज दादा ।

जिद्द न करो तुम इतना ज्यादा।

साथ तुम्हारे खेलेंगे हम,

लो करते हैं तुमसे वादा ।

आहाहा. बड़ी प्यारी,सरस मनुहार बाल मन की । मन मोहती कविता के लिए आपको बहुत शुभकामनाएं सखी ।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद आ. माथुर जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार सखी!

Bharti Das ने कहा…

वाह वाह बहुत ही मोहक सृजन

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सूरज दादा का मनुहार करती बहुत ही सुंदर बाल कविता,सुधा दी। इतनी मनुहार के बाद तो सूरज दादा को आना ही पड़ेगा।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सूरज दादा ठुनक रहे
करते अपनी मनमानी
मनुहार करी कितनी सारी
पर एक न बात उन्होंने मानी ।

आपने कितनी सुंदर बाल कविता लिखी है , पढ़ते हुए लगा कि इस मनुहार में मैं भी शामिल हो गयी हूँ ।।
👌👌👌👌👌👌👌

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार, भारती जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मनोज जी!

Sudha Devrani ने कहा…

जी, ज्योति जी! बस एक दिन के लिए आये सूरज दादा ...फिर से छुट्टी पर चले गये।आपके यहाँ भी यही हाल होगा..है न..?
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद सुन्दर सराहनीय प्रतिक्रिया हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!सुन्दर सराहनीय प्रतिक्रिया एवं बहुत ही खूबसूरत पंक्तियों के साथ मनुहार में शामिल होने हेतु। पर सच में इस बार तो सूरज दादा बहुत ही लम्बी छुट्टी मना रहे हैं।
आपके यहाँ तो नहीं आ रखे छुट्टी मनाने?

Sweta sinha ने कहा…

आहा... क्या बात है सुधा जी बहुत सुंदर,निश्छल भाव,कोमल शब्दों में मनुहार करती मनोहारी बाल कविता।
सस्नेह।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी!आपकी सराहना पाकर रचना सार्थक हुई।

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

आजकल बाल कविताएं बहुत कम पढ़ने को मिलती हैं। इस प्यारी-सी बाल कविता को पढ़ना एक अति सुखद अनुभव रहा।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार जितेंद्र जी!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी लिखी कोई रचना सोमवार. 31 जनवरी 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

संगीता स्वरूप

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!मेरी रचना चयन करने हेतु।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ...
बहुत सुन्दर बाल रचना है ... लाड और मनुहार में लिखी रचना ...

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नासवा जी!

Meena Bhardwaj ने कहा…

शेर बने फिरते गर्मी में ।
सिट्टी-पिट्टी गुम सर्दी में ।
घने कुहासे से डरते क्यों ?
आ जाओ ऊनी वर्दी में !
वाह !!
वाजिब शिकायत के साथ वाजिब सलाह सूरज दादा को । बहुत सुन्दर बाल कविता ।

Sneha ने कहा…

beautiful post!!

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