रविवार, 23 मई 2021

अब दया करो प्रभु सृष्टि पर

To plead


भगवान तेरी इस धरती में 

इंसान तो अब घबराता है

इक कोविड राक्षस आकर

मानव को निगला जाता है


तेरे रूप सदृश चिकित्सक भी

अब हाथ मले पछताते हैं

वरदान से इस विज्ञान को छान

संजीवनी पा नहीं पाते हैं


अचल हुआ इंसान कैद

जीवनगति रुकती जाती है

तेरी कृपादृष्टि से वंचित प्रभु

ये सृष्टि बहुत पछताती है


जब त्राहि-त्राहि  साँसे करती

दमघोटू तब अट्हास करे !

अस्पृश्य तड़पती रूहें जब

अरि एकछत्र परिहास करे !


तन तो निगला मन भी बदला

मानवता छोड़ रहा मानव

साँसों की कालाबाजारी में

कफन बेच बनता दानव


अब दया करो प्रभु सृष्टि पर 

भूलों को अबकी क्षमा कर दो!

कोविड व काले फंगस को

दुनिया से दूर फ़ना कर दो



चित्र साभार;photopin.com से।


47 टिप्‍पणियां:

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत बढ़िया। इस समय तो भगवान ही सहारा और भरोसा दोनो है।

रेणु ने कहा…

प्रिय सुधा जी, आज हर इंसान के यही भाव हैं अदृश्य शक्ति से। यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से। कोविद के भयंकर प्रकोप ने इंसान की सहज प्रखर मेधा शक्ति को कुंद कर रख छोड़ा है। मानवता पीड़ित हो रूदन कर रही है। एक से एक मर्मांतक कहानियां सामने आ मन को व्याकुल, विचलित कर रही हैं। सो, यही उद्गार फूटते हैं भीतर से। ईश्वर से भावपूर्ण प्रार्थना जो हम सब की भी कामना के लिए सराहना शब्द छोटा है। बस यही दुआ है सब स्वस्थ रहें, सकुशल रहें। हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐💐🌷❤️

रेणु ने कहा…


भगवान तेरी इस धरती में
इंसान तो अब घबराता है
इक कोविड राक्षस आकर
मानव को निगला जाता है

👌👌👌👌👌

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी, आपकी एवं पूरे मानव जाति की यह प्रार्थना
अब दया करो प्रभु सृष्टि पर

भूलों को अबकी क्षमा कर दो!

कोविड व काले फंगस को

दुनिया से दूर फ़ना कर दो।
काश, ईश्वर जल्द से जल्द सून ले।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी, मैंने आपके ब्लॉग का ई मेल सबस्क्रिप्शन ले रखा है। लेकिन अब ई मेल सबस्क्रिप्शन बैंड होने वाला है। अतः ब्लॉग पर फॉलोअर का विजेट लगाइए ताकि आपके नए पोस्ट की जानकारी मिल सके।

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर सराहनीय है

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

आपकी प्रार्थना में मेरी प्रार्थना भी शामिल है। सबके मन की आवाज़ को लिख दी आप सुधा जी।

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24 -5-21) को "अब दया करो प्रभु सृष्टि पर" (चर्चा अंक 4076) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा

मन की वीणा ने कहा…

सामायिक आपदा पर विहल करती करुण भाव रचना ।
बहुत सुंदर सृजन सुधा जी।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

तन तो निगला मन भी बदला

मानवता छोड़ रहा मानव

साँसों की कालाबाजारी में

कफन बेच बनता दानव
बहुत सुंदर रचना,बिन प्रभु कृपा के सुखमय जीवन असम्भव। कुछ इंसान इंसानियत भूल गए।

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

प्रार्थना अच्छी है सुधा जी लेकिन राम भरोसे सरकारें बैठा करती हैं या फिर निठल्ले.
कोविड-19 को या फिर ब्लैक फंगस फ़ना करने के लिए हमको ख़ुद कोशिश करनी होगी.
वैसे भी भगवान उन्हीं की मदद करता है जो कि ख़ुद अपनी मदद करते हैं.

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद शिवम् जी!

Sudha Devrani ने कहा…

जी,सखी!सही कहा आपने बस यही कामना है सब स्वस्थ रहें सकुशल रहे...
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय आभार एवं धन्यवाद, ज्योति जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

ज्योति जी!फॉलोअर विजेट वेब वर्शन में लगा तो रखा है...यहाँ भी ट्राई करुँगी..।सूचित करने के लिए धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सादर आभार एवं धन्यवाद, आ.अरुण जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय आभार भाई!

Sudha Devrani ने कहा…

जी सर!कोशिश तो कर ही रहे हैं साथ ही भगवान का आशीर्वाद भी मिल जाय तो शायद इस महामारी से पूर्णतः मुक्ति मिले।
सादर धन्यवाद एवं आभार आपका।

PRAKRITI DARSHAN ने कहा…

अब दया करो प्रभु सृष्टि पर

भूलों को अबकी क्षमा कर दो!

जी ईश्वर अब सभी भूलों का माफ कर जीवन को दोबारा उसी तरह खूबसूरत बना दे। बहुत अच्छी रचना है आपकी। खूब बधाई

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

भगवान भी बेचारा कहाँ तक भूलों को क्षमा करता रहेगा । कुछ लोगों के गुनाह और सज़ा भुगत रहे आम जन । सीख भी नहीं मिली अभी तक इंसान को अभी भी स्वार्थ के आगे नहीं सोच रहा इंसान । साँसों के लिए भी कालाबाज़ारी करते नहीं सोच रहा । बताइए ईश्वर कितनी चेतावनी देगा ।
बस सीधे सादे लोग हस्त जोड़ प्रार्थना कर ईश्वर की स्तुति कर के अपने मन को समझाने का प्रयास कर लेते हैं ।
सुंदर प्रार्थना ...

शुभा ने कहा…

वाह!सुधा जी ,सुंदर प्रार्थना । ईश्वरीय शक्ति भी तभी तक हमारा साथ देती है जब हम निज स्वार्थ छोडकर प्रकृति के सभी नियमों का पालन करें ।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

सुंदर भावों से भरी प्रार्थना मन को छू गई ,नायाब कृति ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ईश्वर की कृपादृष्टि आवश्यक है

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

हमारी भी यही प्रार्थना है- आपके स्वरों में सबका स्वर मिले!

Anuradha chauhan ने कहा…

अब दया करो प्रभु सृष्टि पर

भूलों को अबकी क्षमा कर दो!

कोविड व काले फंगस को

दुनिया से दूर फ़ना कर दो

अब तो प्रभु सुन ले प्रार्थना। बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति।

Sudha Devrani ने कहा…

सराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

सादर आभार एवं धन्यवाद ओंकार जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अब तो यही लगता है कि भगवान भी माफ करते करते थक गये परेशान होकर मुँह फेर बैठे हैं अब करनी का फल हमें भुगतने से कोई नहीं बचा सकता...।फिर भी प्रार्थना के जरिए मनाने की कोशिश मात्र है ...और उम्मीद है कि उनकी कृपा मिले।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ. संगीता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा आपने और यदि हमने ऐसा किया होता तो आज ये दिन न देखने पड़ते....
सहृदय धन्यवाद एवं आभार शुभा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

जी, सादर आभार एवं धन्यवाद प्रवीण जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

और भगवान हम सबकी प्रार्थना स्वीकार करें...
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद एवं आभार सखी!

MANOJ KAYAL ने कहा…

तन तो निगला मन भी बदला

मानवता छोड़ रहा मानव

साँसों की कालाबाजारी में

कफन बेच बनता दानव

लाजवाब

Sarita Sail ने कहा…

बढ़िया सृजन

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद मनोज जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सादर धन्यवाद एवं आभार सरिता जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

प्रकृति पर मानव की मनमानी का परिणाम है कोविड,और ये तो हमेशा से होता आया है कि गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाते हैं .

Sudha Devrani ने कहा…

जी,बिल्कुल सही कहा आपने...
सादर धन्यवाद एवं आभार।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्रार्थना के अंदाज़ में आपकी रचना ... काश ये करोना अब दूर हो ...
इश्वर कुछ तो करो अपनी दया दृष्टि सब पर दिखाओ ... बहुत सार्थक, सटीक आयर सामयिक रचना है ...

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद नासवा जी!
सादर आभार।

Meena sharma ने कहा…

तन तो निगला मन भी बदला

मानवता छोड़ रहा मानव

साँसों की कालाबाजारी में

कफन बेच बनता दानव
सचमुच, इतना बुरा समय तो कभी नहीं देखा सुधाजी। आपने अपनी कविता में हम सबकी वेदना को अभिव्यक्ति दी है।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार मीना जी!

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