बुधवार, 20 जनवरी 2021

एक मोती क्या टूटा जो उस माल से...


Pearls


एक मोती क्या टूटा जो उस माल से

हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी


एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से

नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी


तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर

त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी


लौट के आ समय पर समय कह रहा

फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई


 था जो कमजोर झटके में टूटा यहाँँ

जोड़ कर गाँठ अब उसमें पड़ ही गयी


कौन रुकता यहाँँ है किसी के लिए

सोच उसकी भी आगे निकल ही गई


तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर

जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई


  चित्र साभार pixabay से.....


47 टिप्‍पणियां:

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से

नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी



तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर

त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी

सुन्दर रचना.....

Sweta sinha ने कहा…

प्रिय सुधा जी
बहुत सुंदर रचना।

वक़्त रूकता नहीं किसी के लिए
वक़्त की ये सीख ऐ काश
कि वक़्त पर समझ आती।

Meena Bhardwaj ने कहा…

लौट के आ समय पर समय कह रहा
फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई
बहुत खूब !!
सुन्दर सृजन सुधा जी !

Jyoti Dehliwal ने कहा…

तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर

जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई
सुधा दी,जो लोग किसी के जाने के बाद भी नए सिरे से जिंदगी जीना शरू करते है वे ही जिंदगी में खुश रह पाते है। बहुत सुंदर रचना।

विश्वमोहन ने कहा…

कमाल की रचना। बहुत आभार और बधाई!!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार नैनवाल जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद श्वेता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार मीना जी!

Sudha Devrani ने कहा…

जी, ज्योति जी! सही कहा आपने...
हार्दिक धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.विश्वमोहन जी!

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर प्रशंसनीय

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

उत्कृष्ट ग़ज़ल सिरजी है आपने सुधा जी । जितनी भी तारीफ़ की जाए इसकी, कम ही रहेगी ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद मीना जी!मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु...
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी!
पांच लिंको का आनन्द, मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.आलोक जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ.जितेन्द्र जी!
सादर आभार।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

बहुत खूबसूरत
आज कुछ सीख,जरूर मिल गई
जब सोच खुद की ही बदलने लग गयी
जिसने गम को भी लगाया था खूबसूरती से दिल में
आज वह गम भी कही आसमां में खो गयी
गम है उस नादान परिंदे के जाने का
पर आस में हूँ कि वह फिर लौट आए।

सधु चन्द्र ने कहा…

शानदार रचना। बहुत आभार और बधाई!!

अनीता सैनी ने कहा…

बेहतरीन सृजन प्रिय दी सराहनीय...
सादर

Amrita Tanmay ने कहा…

कब रहा है कोई भी रिक्त स्थान यहां
स्वयं को तू कितना भी रिक्त मान यहां

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

कौन रुकता यहाँँ है किसी के लिए
सोच उसकी भी आगे निकल ही गई

तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई

बहुत सुंदर सृजन 🌹🙏🌹

Anuradha chauhan ने कहा…

कौन रुकता यहाँँ है किसी के लिए

सोच उसकी भी आगे निकल ही गई



तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर

जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई

वाह बेहतरीन रचना सखी 👌

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति

Alaknanda Singh ने कहा…

अत्यंत मार्म‍िक कथन- चेतावनी भरा..वाह सुधा जी... बहुत खूब ल‍िखा ....

लौट के आ समय पर समय कह रहा

फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई..

सधु चन्द्र ने कहा…

गहरी सोच लिए सुंदर कविता...💐

एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से
नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी
तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर
त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी
वाह!
क्या बात!! 💐

जिज्ञासा सिंह ने कहा…


एक मोती क्या टूटा जो उस माल से
हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी



एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से

नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी..गहरी सम्वेदना से भरी लाजवाब अभिव्यक्ति..

MANOJ KAYAL ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

संजय भास्‍कर ने कहा…

तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई

बहुत सुंदर सृजन 👍

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

लाजवाब।

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बेहतरीन।

PRAKRITI DARSHAN ने कहा…

सुप्रभात... बहुत अच्छी रचना...।

Kamini Sinha ने कहा…

एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से

नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी

कुछ बुरा होता है तो उसके पीछे कुछ अच्छी बात हो ही जाती है
वाह!! बहुत ही सुंदर भवपूर्ण रचना,सादर नमन सुधा जी

quotes in Hindi ने कहा…

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जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…


बहुत ही सुंदर कविता |हार्दिक शुभकामनायें

Madhumita Saxena ने कहा…

बहुत ही सुंदर कविता |हार्दिक शुभकामनायें

Rashmi ने कहा…

Nice keep it up

Manisha Goswami ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत पंक्ति मैम

Manisha Goswami ने कहा…

Please visit my blog🙏🙏🙏🙏

Meena sharma ने कहा…

बहुत सुंदर और संदेशप्रद रचना सुधा जी।

विमल कुमार शुक्ल 'विमल' ने कहा…

सुन्दर रचना।

रेणु ने कहा…

तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई
प्रिय सुधा जी , आपकी ये रचना बहुत पहले पढ़ ली थी पर अज्ञात कारणों से लिख ना पायी | बहुत ही भावपूर्ण और अलग तरह की सम्पूर्ण रचना है | संभवतः जीवन की परिवर्तनशीलता का सटीक अन्वेषण करती हुई | अक्सर हम जिस चीज को खोने से डरते हैं उसे खोकर अंततः उसके मोह से मुक्त होकर जीवन में अपार सुकून पाते हैं | इसी दर्शन को उकेरती रचना के लिए ढेरों शुभकामनाएं|

रेणु ने कहा…

प्रिय सुधा जी , आपके ब्लॉग का मेरी रीडिंग लिस्ट में ना पहुंचना बहुत खेदपूर्ण है | भाई रविन्द्र सिंह यादव जी और आपका ब्लॉग दिखाई नहीं पड़ता बस | आज मैंने अनफ़ॉलो करके फिर से फ़ॉलो किया है |देखती हूँ क्या होता है | यूँ कहीं ना कहीं आपकी किसी टिप्पणी के जरिये मैं आपके ब्लॉग पर पहुँच ही जाती हूँ पर पिछले कुछ समय में अतिव्यस्ताओं की वजह से सक्रियता में कमी रही | मेरी शुभकामनाएं सदैव आपके साथ हैं और रहेंगी | हार्दिक स्नेह के साथ |

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रेणु ने कहा…

मोती क्या टूटा जो उस माल से
हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी
एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से
नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी,////
आज एक बार फिर पढ़कर निहाल हूं सुधा जी। बहुत ही प्यारी, अनमोल रचना है 🙏💐🌷❤️

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जीवन हर पल बदलता रहता है । वक़्त कभी एक सा नहीं ।
खूबसूरती से लिखा आपने ।

Sudha Devrani ने कहा…

आप सभी का तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार सुन्दर सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया द्वारा मेरी रचना को सार्थकता प्रदान कर मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु।

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