गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

बसंत की पदचाप

spring
                                                                    
                   चित्र साभार प्रिंट्स से


बसंत की पदचाप सुन
शिशिर अब सकुचा रही
कुहासे की चादर समेटे
 ्पतली गली से जा रही ।

हवाएं उधारी ले धरा
पात पीले झड़ा रही
      नवांकुर से होगा नवसृजन
      मन्द-मन्द मुस्करा रही ।

फूली सरसों लहलहाके
सबके मन को भा रही
अमराइयों में झूम-झूमे
   कोकिला भी गा रही ।

शिशिर देखे पीछे मुड़ के
जीते कैसे मुझसे लड़ के !
      रवि-रश्मियां भी खिलखिला के
वसंत-राग गा रही  ।

पंखुड़ियाँ फूलों लदी
सुगन्ध हैंं फैला रही
गुनगुना रहे भ्रमर
  तितलियां मंडरा रही ।


नवेली सी सजी धरा
घूँघट में यूँ शरमा रही
रति स्वयं ज्यों काम संग
 अब धरा में आ रही ।

39 टिप्‍पणियां:

Jyoti Dehliwal ने कहा…

नवेली सी सजी धरा
घूँघट में यूँ शरमा रही
रति स्वयं ज्यों काम संग
अब धरा में आ रही.......।
बहुत ही सुंदर रचना, सुधा दी।

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर नव गीत सुना जी।

मन की वीणा ने कहा…

सुधा जी

व्याकुल पथिक ने कहा…

मन को मुग्ध करता सुंदर सृजन, प्रणाम।

Anuradha chauhan ने कहा…

वाह बेहतरीन रचना सखी

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

शिशिर व बसंत दोनों ही मौसम में सबसे ज्यादा प्यारे होते हैं । एक में प्रकृति सरस हो जाती है तो दूसरे में विविध रंगों में रंग जाती है। आपकी यह रचना इसीलिये प्रभावशाली बनकर उभरी है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।

अनीता सैनी ने कहा…

शिशिर देखे पीछे मुड़ के
जीते कैसे मुझसे लड़ के !
रवि-रश्मियां भी खिलखिलाके
वसंत-राग गा रही .........वाह !बेहतरीन सृजन आदरणीया दीदी जी

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ ज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी !
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद शशि जी !
सस्नेह आभार।

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

सुन्दर बेहतरीन
बसंत की पदचाप सुन
शिशिर अब सकुचा रही
कुहासे की चादर लपेटे
पतली गली से का रही
बेहतरीन प्रस्तुति

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद अनुराधा जी !
सस्नेह आभार...।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद पुरूषोत्तम जी!
सादर आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद अनीता जी !
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद रितु जी !
सस्नेह आभार।

Anita Laguri "Anu" ने कहा…

.. पहली बार इतनी सुंदर सुंदर कविताएं बसंत के ऊपर पढ़ने मिली और उनमे सेएक आपकी कविता, वाकई में बहुत ही सुंदर बिंबों का प्रयोग किया है आपने, और बेहद खूबसूरत कविता बंन पड़ी है तो शुरू से पढ़ा तो बस पढ़ती ही चली गई अंत तक ...बधाई आपको इतनी अच्छी रचना के लिए..।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद उर्मिला जी !
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

आपको कविता अच्छी लगी अनु जी तो मेरा श्रम साध्य हुआ....तहेदिल से धन्यवाद आपका।
सस्नेह आभार।

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 10 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद यशोदा जी! मेरी रचना को साझा करने के लिए....
सादर आभार।

Kamini Sinha ने कहा…

नवेली सी सजी धरा
घूँघट में यूँ शरमा रही
रति स्वयं ज्यों काम संग
अब धरा में आ रही.......

वाह !!! अनुपम सौंदर्य बिखेरता बसंत की पदचाप ,लाज़बाब सुधा जी ,सादर नमन

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत प्यारी और मोहक रचना, बधाई.

Meena sharma ने कहा…


हवाएं उधारी ले धरा
पात पीले झड़ा रही
नवांकुर से होगा नवसृजन
मन्द-मन्द मुस्करा रही
बहुत प्यारा प्रकृति गान !

Sudha Devrani ने कहा…

उत्साह वर्धन करती आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु सहृदय धन्यवाद कामिनी जी।
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद जेन्नी शबनम जी आपका ....
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद मीना जी आपकी सराहना उत्साह द्विगुणित कर देती है...।
सस्नेह आभार।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-02-2020) को 'गूँगे कंठ की वाणी'(चर्चा अंक-3614) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

Jyoti khare ने कहा…

वाह
बहुत सुंदर रचना

अनीता सैनी ने कहा…

वाह !आदरणीय दीदी बहुत ही सुन्दर मनभावन सृजन किया है आपने.. बेहतरीन 👌👌

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद ओंकार जी !
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आदरणीय सर!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद अनीता जी !
सस्नेह आभार।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बेहतरीन रचना ।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!

विश्वमोहन ने कहा…

अद्भुत मोहक श्रृंगार भाव! बधाई और आभार इतनी ललित रचना का!

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी!

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद भारती जी!

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