बसंत तेरे आगमन पर


Autumn


बसंत तेरे आगमन पर
खिलखिलाई ये धरा भी
इक नजर देखा गगन ने
तो लजाई ये धरा भी

कुहासे की कैद से अब
मुक्त रवि हर्षित हुआ
रश्मियों से जब मिला
तो मुस्कराई ये धरा भी

बसंत तेरे आगमन पर
खिलखिलाई ये धरा भी

नभ निरभ्र  आज ज्यों
उत्सव कोई मना रहा
शशि सितारों संग निशा की
बारात लेके आ रहा
शशि निशा की टकटकी पर
फुसफुसाई ये धरा भी

बसंत तेरे आगमन पर
खिलखिलाई ये धरा भी

अधखिली सी कुमुदिनी पे
भ्रमर जब मंडरा रहा
पास आकर बड़ी अदा से
मधुर गुनगुना रहा
दूर जाये जब भ्रमर तो
तिलमिलाई ये धरा भी

बसंत तेरे आगमन पर
खिलखिलाई ये धरा भी
इक नजर देखा गगन ने
तो लजाई ये धरा भी
                   
          चित्र साभार गूगल से




पढ़िए बसंत ऋतु पर एक गीत

टिप्पणियाँ

yashoda Agrawal ने कहा…
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 20 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
कुहासे की कैद से अब
मुक्त रवि हर्षित हुआ
रश्मियों से जब मिला
तो मुस्कराई ये धरा भी...
बसंत तेरे आगमन पर, । इस सुन्दर सी रचना का सृजन हुआ । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
मनमोहक सृजन..।
हृदय को आनंदित कर रहा है..।
सादर प्रणाम।
शुभा ने कहा…
वाह!!सखी सुधा जी ,बेहतरीन सृजन ।
Sudha Devrani ने कहा…
आपका हृदयतल से धन्यवाद यशोदा जी !
मेरी रचना को मंच पर साझा कर मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु...
सादर आभार।
Sudha Devrani ने कहा…
बहुत बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम जी !
सादर आभार।
Sudha Devrani ने कहा…
हृदयतल से धन्यवाद शशि जी !
सादर आभार।
Sudha Devrani ने कहा…
सहृदय धन्यवाद सखी!
सस्नेह आभार।
रेणु ने कहा…
वाह !! प्रिय सुधा जी , मुस्कुराती धरा और खिलखिलाते बासंती उत्सव को शब्दों में जस का तस उतार दिया आपने। एक सुंदर संपूर्ण नवगीत जो भावों से भरा है। सस्नेह शुभकामनायें इस प्यारे से गीत के लिए।
रेणु ने कहा…
नभ निरभ्र आज ज्यों
उत्सव कोई मना रहा
शशि सितारों संग निशा की
बारात लेके आ रहा
शशि निशा की टकटकी पर
फुसफुसाई ये धरा भी!!!!
👌👌👌👌👌👌👌👌👌
Jyoti Dehliwal ने कहा…
बहुत ही सुंदर सृजन, सुधा दी।
Anita Laguri "Anu" ने कहा…
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
अनीता लागुरी "अनु"
मन की वीणा ने कहा…
बहुत सुंदर और सरस नव गीत आनंदित करता सा सुधाजी।
Sudha Devrani ने कहा…
बहुत धन्यवाद कुसुम जी आप लोगों से ही सीखने की कोशिश मात्र है यह रचना
आपको अच्छी लगी ,मेरा श्रम साध्य हुआ....
तहेदिल से आभार।
anita _sudhir ने कहा…
वाह बेहद खूबसूरत सृजन
Meena sharma ने कहा…
प्रिय सुधाजी,वसंत की कोमलता, सुकुमारता, सुगंध और रंग सभी आपकी कविता के शब्द शिल्प में उतर आए हैं। बहुत समय बाद बसंत ऋतु पर इतनी सुंदर कविता पढ़ने को मिली।
Sudha Devrani ने कहा…
तहेदिल से धन्यवाद अनु जी मेरी रचना को साझा कर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए....।
सस्नेह आभार।
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद ज्योति जी !
सस्नेह आभार।
Sudha Devrani ने कहा…
आभारी हूँ सखी आपकी स्नेहासिक्त प्रतिक्रिया पाकर उत्साह द्विगुणित हुआ
यूँ ही स्नेह बनाए रखियेगा।
तहेदिल से धन्यवाद आपका।
Sudha Devrani ने कहा…
हृदयतल से धन्यवाद सखी !
सस्नेह आभार।
Sudha Devrani ने कहा…
आभारी हूँ मीना जी उत्साहवर्धन हेतु।
तहेदिल से धन्यवाद आपका।
Kamini Sinha ने कहा…
अधखिली सी कुमुदिनी पे
भ्रमर जब मंडरा रहा
पास आकर बड़ी अदा से
मधुर गुनगुना रहा
दूर जाये जब भ्रमर तो
तिलमिलाई ये धरा भी

बहुत सुंदर गीत ,अदभुत सृजन ,सादर नमन आपको सुधा जी
Meena Bhardwaj ने कहा…
नभ निरभ्र आज ज्यों
उत्सव कोई मना रहा
शशि सितारों संग निशा की
बारात लेके आ रहा
शशि निशा की टकटकी पर
फुसफुसाई ये धरा भी
वाह !! बहुत खूब !! अत्यंत सुन्दर सृजन ।
Sudha Devrani ने कहा…
आभारी हूँ कामिनी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका उत्साहवर्धन के लिए...।
Sudha Devrani ने कहा…
हृदयतल से धन्यवाद मीना जी !उत्साहवर्धन हेतु....
सस्नेह आभार।
Sudha Devrani ने कहा…
सस्नेह आभार भाई!
यूँ ही बसंत आगमन पर धरा खिलखिलाती रहे ।।सुंदर मनभावन रचना ।
मन की वीणा ने कहा…
फिर यही कहूंगी सुधा जी बहुत प्यारा सृजन है मोहक फंसती दहका दहका।
सस्नेह।
Sudha Devrani ने कहा…
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!
बसंत बहार जैसी खुबसूरत मनोहारी कृति । बहुत बहुत शुभकामनाएं सुधा जी ।
Sudha Devrani ने कहा…
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कुसुम भी आपने फिर से रचना पढ़ी एवं सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक कर दिया दिल से शुक्रिया।
Sudha Devrani ने कहा…
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद भारती जी!

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