बीती ताहि बिसार दे

स्मृतियों का दामन थामें मन कभी-कभी अतीत के भीषण बियाबान में पहुँच जाता है और भटकने लगता है उसी तकलीफ के साथ जिससे वर्षो पहले उबर भी लिए । ये दुख की यादें कितनी ही देर तक मन में, और ध्यान में उतर कर उन बीतें दुखों के घावों की पपड़ियाँ खुरच -खुरच कर उस दर्द को पुनः ताजा करने लगती हैं। पता भी नहीं चलता कि यादों के झुरमुट में फंसे हम जाने - अनजाने ही उन दुखों का ध्यान कर रहे हैं जिनसे बड़ी बहादुरी से बहुत पहले निबट भी लिए । कहते हैं जो भी हम ध्यान करते हैं वही हमारे जीवन में घटित होता है और इस तरह हमारी ही नकारात्मक सोच और बीते दुखों का ध्यान करने के कारण हमारे वर्तमान के अच्छे खासे दिन भी फिरने लगते हैं । परंतु ये मन आज पर टिकता ही कहाँ है ! कल से इतना जुड़ा है कि चैन ही नहीं इसे । ये 'कल' एक उम्र में आने वाले कल (भविष्य) के सुनहरे सपने लेकर जब युवाओं के ध्यान मे सजता है तो बहुत कुछ करवा जाता है परंतु ढ़लती उम्र के साथ यादों के बहाने बीते कल (अतीत) में जाकर बीते कष्टों और नकारात्मक अनुभवों का आंकलन करने में लग जाता है । फिर खुद ही कई समस्याओं को न्यौता देने...
वाह क्या बात अति मनमोहक कहमुकरियाँ... बधाई सुधा जी। सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंजित मैं जाऊं उत वो आये
शीतल काया मन हर्षाये
रात्रि समा वह देता बाँध
क्या सखी साजन ?......
..................ना सखी चाँद ।
ये तो बहुत बहुत अच्छी लगी।
हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी !
हटाएंसस्नेह आभार आपका...।
सुंदर सृजन, प्रणाम।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शशि जी ! सादर आभार...
हटाएंमनमोहक और बहुत सुन्दर कहमुकरियां
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीना जी !
हटाएंसस्नेह आभार आपका।
कह मुकरी विधा से युक्त आपकी रचनाएँ परिपक्वता की निशानियाँ हैं । मैं तो इस विधा से पूर्णतः अंजान हूँ । आपको अनन्त शुभकामनाएं आदरणीया सुधा देवरानी जी।
जवाब देंहटाएंमैं भी अंजान ही हूँ पुरुषोत्तम जी !
हटाएंनीतू जी, अभिलाषा जी, कुसुम जी, अनुराधा जी एवं अन्य प्रबुद्धजनों के मार्गदर्शन एवं सहयोग से नवांकुर पटल पर सीखने की कोशिश कर रही हूँ......
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।
बहुत सुंदर मुकरीया सुधा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मुकरीया सुधा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी
हटाएंसादर आभार।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 02 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी यशोदा जी, हृदयतल से आभार आपका मेरी रचना साझा करने हेतु....
जवाब देंहटाएंआह
जवाब देंहटाएंमनमोहक प्यारी रचना
बंद बहुत प्यारे.
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र
हृदयतल से धन्यवाद रोहिताश जी उत्साहवर्धन हेतु...
हटाएंसादर आभार।
बहुत सुंदर कह मुकरी सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंसब मुकरियां एक से बढ़कर एक।
तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी !
हटाएंआपको ठीक लगी तो श्रम साध्य हुआ
सस्नेह आभार ।
वाह बेहद खूबसूरत कह मुकरी सखी 🌹
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद अनुराधा जी !
हटाएंसस्नेह आभार...।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-02-2020) को 'सूरज कितना घबराया है' (चर्चा अंक - 3600) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
हार्दिक धन्यवाद रविन्द्र जी चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा कर उत्साहवर्धन हेतु...।
हटाएंसादर आभार।
वाह ! कमाल की मुकरियाँ, सभी एक से बढ़कर एक...
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी !
जवाब देंहटाएंसादर आभार ...।
भोर-साँझ वह मन को भाये
जवाब देंहटाएंसर्दियों में तन-मन गर्माये
उसके लिए सबकी ये राय
हैं सखी साजन ?...........
..................ना सखी चाय ।
बहुत खूब.... ,बेहतरीन सृजन ,सादर नमन
आभारी हूँ कामिनी जी !सहृदय धन्यवाद आपका...।
हटाएंसुंदर कहमुकरियाँ…..
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद आदरणीय विकास जी !
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है...