
चित्र सभार गूगल से....
◆ चाह देखकर भाव बढ़ाता
हाथ लगाओ खूब रुलाता
है सखी उसको खुद पर नाज
क्या सखी साजन ?.....
..........ना सखी प्याज ।
◆ बढ़ती भीड़ घटे बेचारा
वही तो हम सबका सहारा
उसके बिन न जीवन मंगल
क्या सखी साजन ?.......
................. ना सखी जंगल ।
◆ जित मैं जाऊँँ उत वो आये
शीतल काया मन हर्षाये
रात्रि समा वह देता बाँध
क्या सखी साजन ?......
..................ना सखी चाँद ।
◆ भोर-साँझ वह मन को भाये
सर्दियों में तन-मन गर्माये
उसके लिए सबकी ये राय
हैं सखी साजन ?...........
...................ना सखी चाय ।
27 टिप्पणियां:
वाह क्या बात अति मनमोहक कहमुकरियाँ... बधाई सुधा जी। सुंदर सृजन।
जित मैं जाऊं उत वो आये
शीतल काया मन हर्षाये
रात्रि समा वह देता बाँध
क्या सखी साजन ?......
..................ना सखी चाँद ।
ये तो बहुत बहुत अच्छी लगी।
सुंदर सृजन, प्रणाम।
मनमोहक और बहुत सुन्दर कहमुकरियां
धन्यवाद शशि जी ! सादर आभार...
धन्यवाद मीना जी !
सस्नेह आभार आपका।
हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी !
सस्नेह आभार आपका...।
कह मुकरी विधा से युक्त आपकी रचनाएँ परिपक्वता की निशानियाँ हैं । मैं तो इस विधा से पूर्णतः अंजान हूँ । आपको अनन्त शुभकामनाएं आदरणीया सुधा देवरानी जी।
मैं भी अंजान ही हूँ पुरुषोत्तम जी !
नीतू जी, अभिलाषा जी, कुसुम जी, अनुराधा जी एवं अन्य प्रबुद्धजनों के मार्गदर्शन एवं सहयोग से नवांकुर पटल पर सीखने की कोशिश कर रही हूँ......
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।
बहुत सुंदर मुकरीया सुधा दी।
बहुत सुंदर मुकरीया सुधा दी।
बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी
सादर आभार।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 02 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी यशोदा जी, हृदयतल से आभार आपका मेरी रचना साझा करने हेतु....
आह
मनमोहक प्यारी रचना
बंद बहुत प्यारे.
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र
बहुत सुंदर कह मुकरी सुधा जी ।
सब मुकरियां एक से बढ़कर एक।
हृदयतल से धन्यवाद रोहिताश जी उत्साहवर्धन हेतु...
सादर आभार।
तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी !
आपको ठीक लगी तो श्रम साध्य हुआ
सस्नेह आभार ।
वाह बेहद खूबसूरत कह मुकरी सखी 🌹
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-02-2020) को 'सूरज कितना घबराया है' (चर्चा अंक - 3600) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
हृदयतल से धन्यवाद अनुराधा जी !
सस्नेह आभार...।
हार्दिक धन्यवाद रविन्द्र जी चर्चा मंच पर मेरी रचना साझा कर उत्साहवर्धन हेतु...।
सादर आभार।
वाह ! कमाल की मुकरियाँ, सभी एक से बढ़कर एक...
सहृदय धन्यवाद अनीता जी !
सादर आभार ...।
भोर-साँझ वह मन को भाये
सर्दियों में तन-मन गर्माये
उसके लिए सबकी ये राय
हैं सखी साजन ?...........
..................ना सखी चाय ।
बहुत खूब.... ,बेहतरीन सृजन ,सादर नमन
आभारी हूँ कामिनी जी !सहृदय धन्यवाद आपका...।
सुंदर कहमुकरियाँ…..
सहृदय धन्यवाद आदरणीय विकास जी !
ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
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