गुरुवार, 8 अगस्त 2019

भावनाओं के प्रसव की उपज है कविता....



dairy : full of emotions


आज मन में ख्याल आया
रचूँ मैं भी इक कविता
मन को बहुत अटकाया
इधर-उधर दौड़ाया
कुछ पल की सैर करके
ये खाली ही लौट आया
डायरी रह गयी यूँ कोरी
कल्पना रही अधूरी
मैने भी जिद्द थी ठानी
है कविता मुझे बनानी
जा ! उड़ मन परी लोक में
ला ! परियों की कोई कहानी
मैं उसमें से कुछ चुन लूँ
फिर कागज पे कलम से बुन लूँ
बन जाये कोई कविता
जो मन को लगे सुहानी
फुर उड़ चला ये नील गगन में
लौटा फिर इसी चमन में
पर ना साथ कुछ भी लाया
मैने फिर इसे भगाया
जा ! सागर बड़ा सुहाना
सुन्दर हो कोई मुहाना !
कहीं सीपी मचल रही हो...
बूँद मोती में ढल रही हो !
जा ! वहीं से कुछ ढूंढ लाना
रे ! मन खाली न आना !!
पर ये खाली ही आया....
इसे वहां भी कुछ न भाया
मैं तब भी ना हार मानी
मुझे कविता जो थी बनानी
इस मन को फिर समझाया
देख ! सावन कहीं हो आया
रिमझिम फुहारें बरस रहीं हो
धरा महकी बहकी सी हो
कोई नवेली सज रही हो
हाथ मेंहदी रच रही हो
हौले उसके पास जाना
प्रीत थोड़ी ले के आना
मैं उसी से प्रीत चुन लूँ
फिर कागज पे कलम से बुन लूँ
बने कविता या फिर कहानी
जो मन को लगे सुहानी
मेरी जिद्द पे मन उकताया
झट अन्तर में जा समाया
भाव समन्दर के मंथन से
कुछ काव्यरस बाहर आया
झट शब्दमोती चुन न पायी
हाय ! मैं कविता बुन न पायी
उथले में रही अनजानी
न कविता बनी ना कहानी
************************
ले लेती जो इक गहन गोते का सुख
मेरी कविता भी होती सबके सम्मुख
**************************
भावनाओं  के प्रसव की उपज है कविता....
यूँ बनाने से कहाँ कब बन सकी कविता !!!!














38 टिप्‍पणियां:

मन की वीणा ने कहा…

वाह सखी जी आपके भावनाओं के प्रसव से नलकुबर सा अद्वितिय नव काव्य जन्म हुआ है ।
इतने सुंदर प्यारे अहसासो का शानदार सृजन।
अनुपम अभिनव।

Sudha Devrani ने कहा…

प्रोत्साहन से भरी त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार सखी !

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

भावनाओं के प्रसव की उपज है , क्रीड़ा सुन्दर भाव संयोजन

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और सार्थक सृजन

Anuradha chauhan ने कहा…

भावनाओं के प्रसव की उपज है कविता....
यूँ बनाने से कहाँ कब बन सकी कविता !!!!
वाह बेहतरीन रचना सखी 👌

Meena Bhardwaj ने कहा…

सीप से मिले मोती जैसे भाव लिए खूबसूरत रचना । बहुत दिनों के बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली । इन्तजार सफल रहा...

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद, रितु जी !
सस्नेह आभार.....

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद अभिलाषा जी !
सादर आभार...

Sudha Devrani ने कहा…

पाँच लिंकों के आनन्द के मंच पर मेरी रचना साझा करने के लिए आपका हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार,अनुराधा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद मीना जी!
उत्साह वर्धन के लिए...

Subodh Sinha ने कहा…

बहुत ही प्यारी हृदयस्पर्शी रचना .. सच में भावनाओं के प्रसव की उपज ही हैं कविताएँ ...कविताएँ ही क्यों ... दुनिया की तमाम मन को छूती रचनाएं ... मानवनिर्मित सृष्टियाँ भी तो ...

विश्वमोहन ने कहा…

वाह! मन और बुद्धि की इस मोहक छेड़छाड़ ने कविता का प्रीत रस बहा ही दिया जिसमें अहंकार यूँ घुल गया कि वह बेसुधी में यही गुनगुनाता रहा:
'उथले में रही अनजानी
न कविता बनी ना कहानी'

Enoxo ने कहा…

विडीओ ब्लॉग पंच में आपके इस ब्लॉगपोस्ट की विडीओ चर्चा ब्लॉग पंच के नेक्स्ट एपिसोड में की जाएगी और उसमें से बेस्ट ब्लॉग चुना जाएगा पाठको द्वारा वहाँ पर दी गई कमेंट के आधार पर ।

ब्लॉग पंच का उद्देश्य मात्र यही है कि आपके ब्लॉग पर अधिक पाठक आये और अच्छे पाठको को अच्छी पोस्ट पढ़ने मीले ।

एक बार पधारकर आपकी अमूल्य कमेंट जरूर दे

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Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आपका सर !आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से उत्साह द्विगुणित हुआ...
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद विश्वमोहन जी !
सादर आभार....

Sudha Devrani ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है यहाँ पधारने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत ही शानदार ब्लॉग पंच है आपका...।
सादर आभार।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

अहसासों भरी सुंदर कविता।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद पम्मी जी !
सस्नेह आभार....

Enoxo ने कहा…

विडीओ ब्लॉग पंच में आपके इस ब्लॉगपोस्ट की विडीओ चर्चा ब्लॉग पंच के नेक्स्ट एपिसोड में याने ब्लॉग पंच 3 में की जाएगी और उसमें से बेस्ट ब्लॉग चुना जाएगा पाठको द्वारा वहाँ पर दी गई कमेंट के आधार पर ।

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Prakash Sah ने कहा…

वाह!!! एक कविता रचने के दौरान मन में आने वाली प्रत्येक भाव को आपने लगभग बता दिया। कभी-कभी मन बेचैन भी हो जाता है जब कोई रचना नहीं रच पाते हैं।
और अंत में आपने बिल्कुल सत्य कहा-

"भावनाओं के प्रसव की उपज है कविता....
यूँ बनाने से कहाँ कब बन सकी कविता !!!!"

आपकी यह रचना एक रचनाकार को आकर्षित करती है...इसे पढ़ने के लिए। बहुत भिन्न एवं चलचित्र प्रस्तुत करती रचना। बधाई।

Kailash Sharma ने कहा…

खूबसूरत अहसासों की सटीक अभिव्यक्ति ...

Sudha Devrani ने कहा…

जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपका...
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ , हृदयतल सै धन्यवाद आपका
प्रकाश जी !
ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है
सादर...

Sudha Devrani ने कहा…

मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए हदयतल से धन्यवाद अनीता जी !
सस्नेह आभार...

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद, सर!
सादर आ्भार....

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी,सच कहा आपने कि कविता रचना कोई सहज बात नहीं हैं। उसके लिए कठिन प्रसव वेदना से गुजरना पड़ता है। कविता के जन्म को लेकर बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।

Sudha Devrani ने कहा…

प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी !
सस्नेह आभार...

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

बहुत सुंदर रचना मन के भावों को उपजाती, उन्हें बहाकर ले जाती और फिर कविता सृजन की वेदना को बतलाती बहुत सुंदर।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब .... और सच के करीब भी ....
क्योंकि भावनाएं नहीं होंगी तो प्राकृति के बोल, मौसम का नाद, मौन की भाषा और सृजन की धमक कैसे सुने देगी ...
महनत के साथ, समझ, सूक्ष्म एहसास को ग्रहण करने की काबलियत और जीवन को जीने, महसूस करते के साथ उसको कह पाने की क्षमता एक कवि मन को जन्म देती है ...
बहुत ही सुन्दर, सार्थक और भावपूर्ण रहना है ... जो मन में उठते भाव को पूर्णतः प्रगट कर रही है ...

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार, भाई !

Sudha Devrani ने कहा…

रचना का सार प्रकट करती प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से धन्यवाद, नासवा जी !
सादर आभार...

Enoxo ने कहा…

विडीओ ब्लॉग पंच में आपकी इस ब्लॉगपोस्ट की शानदार चर्चा ब्लॉग पंच पार्ट 3 के एपिसोड में की गई है । "

" जिसमे हमने 5 ब्लॉग लिंक पर चर्चा की है और उसमें से बेस्ट ब्लॉग चुना जाएगा , याद रहे पाठको के द्वारा वहाँ पर की गई कमेंट के आधार पर ही बेस्ट ब्लॉग पंच चुना जाएगा । "

" आपको बताना हमारा फर्ज है की चर्चा की गई 5 लिंक में से एक ब्लॉग आपका भी है । तो कीजिये अपनो के साथ इस वीडियो ब्लॉग की लिंक शेयर और जीतिए बेस्ट ब्लॉगर का ब्लॉग पंच "

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रेणु ने कहा…

प्रिय सुधा जी , कविता रचना कोई खेल नहीं। ये भावनाओं का वो अतिरेक है जो जब बाँध तोड़कर बह निकलता है तभी सार्थक सृजन में बदलता है,नहीं तो रचना उन सजावटी फूलों की तरह होती है , जो मात्र देखने में सुंदर होते है , पर सुगंध से कोसों दूर होते हैं। सार्थक रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और मेरा प्यार आपके लिए। 👌👌💐🌷💐🌷💐🌷💐

Sudha Devrani ने कहा…

ब्लॉग पंच पार्ट 3 में मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह द्विगुणित कर देती है रेणु जी ....रचना का सारांश समक्ष रखने हेतु हदयतल से आभार एवं धन्यवाद सखी !

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

कविता बनाने-बुनने-गूंथने-पिरोने-पकाने-ढालने आदि के नुस्खे तो बहुत हैं. वीर-गाथा काल के चारण, भाट, और रीति कालीन दरबारी कवि और अब फ़िल्मी गीतकार आर्डर पर इन्हीं नुस्खों को आज़मा कर कविता रचते रहे हैं. आज के हास्य-कवि किसी भी चुटकुले पर या समाचार पर तुकबंदी कर लेते हैं लेकिन असल में कविता तो वही है जो किसी एक दिल से निकले और लाखों-करोड़ों दिलों तक पहुंचे.

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद सर प्रोत्साहन हेतु...
सादर आभार।

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