अब भावों में नहीं बहना है....
जाने कैसा अभिशाप है ये
मन मेरा समझ नहीं पाता है
मेरी झोली में आकर तो
सोना भी लोहा बन जाता है
जिनको मन से अपना माना
उन्हीं ने ऐसे दगा दिया
यकींं भी गया अपनेपन से
तन्हा सा जीवन बिता दिया
एक सियासत देश में चलती
एक घरों में चलती है
भाषण में दम जिसका होता
सरकार उसी की बनती है
सच ही कहा है यहाँ किसी ने
"जिसकी लाठी उसकी भैंस"
बड़बोले ही करते देखे
हमने इस दुनिया में ऐश
नदी में बहने वाले को
साहिल शायद मिल भी जाये
भावों में बहने वाले को
अब तक "प्रभु" भी ना बचा पाये
गन्ने सा मीठा क्या बनना
कोल्हू में निचोड़े जाओगे
इस रंग बदलती दुनिया में
गिरगिट पहचान न पाओगे
दुनियादारी सीखनी होगी
गर दुनिया में रहना है
'जैसे को तैसा' सीख सखी!
अब भावों में नहीं बहना है
चित्र;साभार गूगल से....
टिप्पणियाँ
साहिल शायद मिल भी जाये
भावों में बहने वाले को
अब तक "प्रभु" भी ना बचा पाये....वाह लाज़बाब
सादर
गर दुनिया में रहना है
"जैसे को तैसा" सीख सखी !
अब भावों में नहीं बहना है
कटु सत्य कहा आपने 👌 बेहतरीन रचना सखी
अब तक "प्रभु" भी ना बचा पाये। जीवन का यथार्थ बयां करती पंक्तियाँ।
सार्थक अप्रतिम।
जाने कैसा अभिशाप है ये
मन मेरा समझ नहीं पाता है....
पश्चाताप होता है कभी कभी ऐसी परिस्थिति पर। सोच को झकझोर गई आपकी यह रचना ।
सस्नेह आभार...
सादर आभार...
सस्नेह आभार....
ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
सादर आभार....
बेहतरीन सृजन आदरणीया
गर दुनिया में रहना है
"जैसे को तैसा" सीख सखी !
अब भावों में नहीं बहना है
बहुत सुंदर सुधा दी।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
मन के भावों को बाखूबी और स्पष्ट लिखा है आपने ...
गर दुनिया में रहना है
"जैसे को तैसा" सीख सखी !
अब भावों में नहीं बहना है..... बहुत सुंदर रचना सुधा जी
सादर आभार...
ब्लॉग पर आपका स्वागत है.....।
कोल्हू में निचोड़े जाओगे
सत्य और सार्थक बात
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सादर आभार ।
एक घरों में चलती है
भाषण में दम जिसका होता
सरकार उसी की बनती है
बहुत खूब प्रिय सुधा जी | यही बात सच है पर जो जैसा है वो वैसा ही रहता है | नेक को नेकी तो बद को बदी का आचरण शोभा देता है |
बुरों को बुराई से प्यार
हमें तो मानवता दरकार
कर्म शुभ हों ना जी दुखे किसी का
सबका अपने कर्मो पे अधिकार
छोड़ों व्यर्थ के जवाब सवाल
नेकी कर दो दरिया में डाल !!!! सस्नेह शुभकामनायें विकल मन की व्याकुलता जताती रचना के लिए
हृदयतल से धन्यवाद आपका।
सस्नेह आभार...
सस्नेह आभार...
भाषण में दम होता है जिसके सरकार उसी की चलती है
बहुत सुंदर सारगरभित रचना
सस्नेह आभार...
एक सियासत देश में चलती
एक घरों में चलती है
भाषण में दम जिसका होता
सरकार उसी की बनती है ... वाह! बहुत बड़ा सच लिखा आपने।
सादर आभार....
सस्नेह आभार...
वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।