शारदीय नवरात्र का ,आया पावन पर्व (दोहे)

1. शारदीय नवरात्र का, आया पावन पर्व । नवदुर्गा नौरूप की, गाते महिमा सर्व ।। 2. नौ दिन के नवरात्र का , करते जो उपवास । नवदुर्गा माता सदा , पूरण करती आस ।। 3. जगराते में हैं सजे, माता के दरबार । गूँज रही दरबार में, माँ की जय जयकार ।। 4. माता के नवरूप का, पूजन करते लोग । सप्तसती के पाठ से, बनें सुखद संयोग ।। 5. संकटहरणी माँ सदा, करती संकट दूर । घर घर खुशहाली रहे, धन दौलत भरपूर ।। 6. शारदीय नवरात्र की, महिमा अपरम्पार । विधिवत पूजन कर सदा, मिलती खुशी अपार ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏 पढ़िए एक और रचना कुण्डलिया छंद में ● व्रती रह पूजन करते
बेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद अनीता जी !
हटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है...
'क्या?', 'क्यूं?', 'कैसे?'
जवाब देंहटाएंऐसे सवाल बच्चे पूछते हैं या फिर अक्ल के कच्चे पूछते हैं.
आपके दिलो-दिमाग में गाँधी जी के तीनों बंदरों के गुण एक साथ समाहित होने पर आपको बधाई !
हृदयतल से धन्यवाद सर!
हटाएंसादर आभार...
सुधा दी,कई बार संकटों से तंग आकर इंसान ऐसा सोचता हैं कि इसमें अच्छा क्या हैं। लेकिन हर घटना के पीछे कुछ न कुछ अच्छाई छिपी होती हैं जो परेशान इंसान को दिखाई नहीं देती। परेशान दिल का हाल बखूबी व्यक्त किया हैं आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी !
हटाएंसस्नेह आभार...
वाह बहुत सुंदर संकलन।सचमुच साकारात्मक सोंच रखने से सब अच्छा होता है।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद सुजाता जी !
हटाएंसादर आभार..
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार लोकेश जी !
हटाएंवाह बेहतरीन सुधा जी इसमें भी अच्छा है कि सकारात्मकता की ऊर्जा काम करती है,जैसे सूर्य का प्रकाश ......
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद रितु जी !
हटाएंसस्नेह आभार...।
वाह बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद अभिलाषा जी !
हटाएंगजब सुधा जी सच बयां किया आपने कैसी असमंजस की स्थिति होती है ना।
जवाब देंहटाएंअब इसमें क्या अच्छा है वाहह्ह्
जी कुसुम जी !बहुत बहुत धन्यवाद आपका...
हटाएंबहुत बहुत आभार उर्मिला जी !
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है ।