बी पॉजिटिव

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  "ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ?   कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला !  बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और  बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था ।  वहीं आँगन में रखी स्प्रे बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" ।   माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं ।   फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...

"मन और लेखनी"



writing on empty notebook

लिखने का मन है,
लिखती नहीं लेखनी,
लिखना मन चाहता,
कोई जीवनी कहानी ।
शब्द आते नहीं, मन
बोझिल है दुःखी लेखनी ।
लिखने का मन है,
लिखती नहीं लेखनी ।
मन मझधार में है ,
लेखनी पार जाना चाहती,
मन में अपार गम हैं,
लेखनी सब भुलाना चाहती ।
सारे दुखों  को भूल
अन्त सुखी बनाना चाहती,
मन मझधार में है,
लेखनी पार जाना चाहती ।

चन्द लेख बन्द रह गये,
यूँ  ही  किताबों  में ।
जैसे कुछ राज छुपे हों ,
जीवन की यादों में,
वक्त बेवक्त उफनती ,
लहरेंं 'मन-सागर' में,
देखूँ ! कब तक सम्भलती
हैं, ये यादें जीवन में।?

लेखनी समझे उलझन,
सम्भल के लिख भी पाये।
वो लेख ही क्या लिखना
जो 'सुलझी-सीख' न दे पाये।

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है...
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. शब्द आते नहीं, मन
    बोझिल है दुःखी लेखनी ।
    लिखने का मन है,
    लिखती नहीं लेखनी ।
    मन मझधार में है ,
    लेखनी पार जाना चाहती,

    इन दिनों मेरी लेखनी की भी यही दशा है।
    कभी कभी शब्द को से जाते हैं, बहुत ही सुन्दर सृजन सुधा जी 🙏

    जवाब देंहटाएं

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