बुधवार, 17 मई 2017

"सैनिक---देश के"

Indian soldiers in front of a flag background
कब तक चलता रहेगा बोलो,
लुका-छुपी का खेल ये ?.......
अब ये दुश्मन बन जायेंगे,
या फिर होगा मेल रे ?.........

उसने सैनिक मार गिराये,
तुमने बंकर उडा दिये........
ईंट के बदले पत्थर मारे,
ताकत अपनी दिखा रहे........

संसद की कुर्सी पर बैठे,
नेता रचते शेर रे...........
एक दिन सैनिक बनकर देखो,
कैसे निकले रेड़ रे.........

शहादत की चाह से सैनिक
कब सरहद पर जाता है ?.......
हर इक पिता कब पुत्र-मरण में,
सीना यहाँ फुलाता है ?........

गर्वित देश और अपने भी,
ये हैंं शब्दों के फेर रे...........
कब तक चलता रहेगा बोलो,
लुका-छिपी का खेल ये ?.........

भरी संसद में नेताओं पर ,
जूते फेंके जाते हैं...........
सरहद पर क्यों हाथ बाँधकर,
सैनिक भेजे जाते हैं ?.........

अजब देश के गजब हैं नुख्से ,
या हैं ये भी राजनीति के खेल रे ?........
कब तक चलता रहेगा बोलो,
लुका-छिपी का खेल ये ?...........

विपक्षी के दो शब्दों से जहाँ,
स्वाभिमान हिल जाते हैं........
नहीं दिखे तब स्वाभिमान जब,
सैनिकों पे पत्थर फैंके जाते हैं......
   
आजाद देश को रखने वाले,
स्वयं गुलामी झेल रहे..........
दाँत भींच ये गाली सहते,
बेचारगी सी झेल रहे............

प्राण हैं इनमें ये नहीं पुतले,
कब समझोगे भेद रे ?.........
कब तक चलता रहेगा बोलो,
लुका-छिपी का खेल रे ?.........

बिन अधिकार बिना आजादी,
कैसे करें ये मेल रे ?..........
देश-भक्ति का जज्बा ऐसे,
हो न जाये कहीं फेल रे ?.........

तनिक सैनिकों को भी समझो,
बन्द करो अब खेल ये............
ठोस नतीजे पर तो पहुँचों,
हुंकारे अब ये शेर रे...........

हुक्म करो तो अमन-चैन को,
वापस भारत लाएं ये..........
शौर्य देख आतंकी भी
बंकर-सहित रसातल जायें रे..........

दे खदेड़ आतंक जहाँ से,
"विश्व-शान्ति" फैलायें ये..........
"भारत माता"के वीर हैं ये,
संसार में माने जायें रे............





चित्र :Shutterstockसे साभार.....

28 टिप्‍पणियां:

Abhilasha ने कहा…

बेहतरीन रचना

Jyoti Dehliwal ने कहा…

भरी संसद में नेताओं पर ,
जूते फेंके जाते हैं...........
सरहद पर क्यों हाथ बाँधकर,
सैनिक भेजे जाते हैं ?.........

अजब देश के गजब हैं नुस्खे या,
हैं ये भी राजनीति के खेल रे ?........
कब तक चलता रहेगा बोलो,
लुका-छिपी का खेल ये ?..........
बहुत ही सुंदर रचना, सुधा दी।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार अभिलाषा जी !

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी !
सादर आभार...

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

बिल्कुल सही

NITU THAKUR ने कहा…

Bahut khoob👌👌👌

मन की वीणा ने कहा…

प्रश्न पर प्रश्न सार्थक प्रश्न पुछती बेमिसाल अभिव्यक्ति ।
वाह्ह्ह सुधा जी ।

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति सखी

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सखी 👌👌👌
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार अनीता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद, अनुराधा जी !

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार कुसुम जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद नीतू जी !

Sudha Devrani ने कहा…

ससनेह आभार, भाई...

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद, रितु जी !

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-01-2020) को 'धुएँ के बादल' (चर्चा अंक- 3593) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ रविन्द्र जी तहेदिल से धन्यवाद आपका मेरी रचना चर्चा मंच पर साझा कर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए...।

~Sudha Singh vyaghr~ ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन सुधा जी, न जाने य़ह खेल कब तक चलता रहेगा. लालच के मद में इंसान इतना अंधा हो गया कि उसने मानवता को कब सूली पर चढ़ा दिया पता ही नहीं चला

Kamini Sinha ने कहा…

दे खदेड़ आतंक जहाँ से,
"विश्व-शान्ति" फैलायें ये..........
"भारत माता"के वीर हैं ये,
संसार में माने जायें रे.....

बेहतरीन अभिव्यक्ति ,सादर नमन सुधा जी

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद सुधा जी !
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ कामिनी जी ! बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०८-०७-२०२०) को 'शब्द-सृजन-२८ 'सरहद /सीमा' (चर्चा अंक-३७५३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी

SUJATA PRIYE ने कहा…

वाह बेहतरीन सृजन। बेहद मार्मिक और समयानुकूल। हार्दिक बधाई।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी, निरन्तर सहयोग हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद, सुजाता जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ. सर!
सादर आभार।

मन की वीणा ने कहा…

शानदार तंज सटीक व्यंग्य सामायिक परिस्थितियों और नेताओं के व्यवहार का सही दृश्य उकेरती सामायिक रचना ।
अभिनव सुंदर। ््।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद कुसुम जी!
सस्नेह आभार।

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