भ्रात की सजी कलाई (रोला छंद)

सावन पावन मास , बहन है पीहर आई । राखी लाई साथ, भ्रात की सजी कलाई ।। टीका करती भाल, मधुर मिष्ठान खिलाती । देकर शुभ आशीष, बहन अतिशय हर्षाती ।। सावन का त्यौहार, बहन राखी ले आयी । अति पावन यह रीत, नेह से खूब निभाई ।। तिलक लगाकर माथ, मधुर मिष्ठान्न खिलाया । दिया प्रेम उपहार , भ्रात का मन हर्षाया ।। राखी का त्योहार, बहन है राह ताकती । थाल सजाकर आज, मुदित मन द्वार झाँकती ।। आया भाई द्वार, बहन अतिशय हर्षायी । बाँधी रेशम डोर, भ्रात की सजी कलाई ।। सादर अभिनंदन आपका 🙏 पढ़िए राखी पर मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर जरा अलग सा अब की मैंने राखी पर्व मनाया
वाह !!
जवाब देंहटाएंश्रावण मास की छटा बिखेरती सुन्दर चौपाई छंद रचना । सादर नमस्कार सुधा जी !
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंसावन रिमझिम बरसे पानी
जवाब देंहटाएंधरती ओढ़े चूनर धानी
सुंदर
आभार
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 28 जुलाई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियां 🙏
जवाब देंहटाएंजय शिव शंकरा।
जवाब देंहटाएंसुंदर सहज अच्छी छंदबद्ध कविता। बधाइयां स्वीकार करें।