गई शरद आया हेमंत ,
हुआ गुलाबी दिग दिगंत ।
अलसाई सी लोहित भोर,
नीरवता पसरी चहुँ ओर ।
व्योम उतरता कोहरा बन,
धरा संग जैसे आलिंगन ।
तुहिन कण मोती से बिखरे,
पल्लव पुष्प धुले निखरे ।
उजली छिटकी गुनगुनी धूप,
प्रकृति रचती नित नवल रूप ।
हरियाये सुन्दर सब्ज बाग,
पालक बथुआ सरसों के साग ।
कार्तिक,अगहन व पूस मास,
पंछी असंख्य उतरे प्रवास ।
हुलसित सुरभित यह ऋतु हेमंत
आगत शिशिर, स्वागत वसंत ।।
30 टिप्पणियां:
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (१४-११-२०२२ ) को 'भगीरथ- सी पीर है, अब तो दपेट दो तुम'(चर्चा अंक -४६११) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
चर्चा मंच के लिए मेरी रचना चयन करने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 15 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहर!अच्छी सामयिक अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर कविता रची है सुधा जी आपने। एक-एक शब्द में हेमंती गंध रची-बसी है।
हुलसित हुआ मन अति सुन्दर कृति से। स्वागत है....
बहुत सुंदर मनहर रचना
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ओंकार जी !
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जितेंन्द्र जी
दिल से धन्यवाद एवं आभार अमृता जी !
दिल से धन्यवाद एव आभार भारती जी !
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ. यशोदा जी मेरी रचना चयन करने हेतु ।
बहुत सुंदर
जीवन जीने की प्रेरणा देती और हेमंत की अगवानी करती सुंदर रचना
हेमंत के स्वागत में बहुत सुंदर कोमल भाव लिए प्रकृति के सौंदर्य के साथ सुंदर सृजन।
बहुत सुंदर सृजन।
जी, हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका ।
दिल से धन्यवाद एवं आभार सखी !
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ. कुसुम जी !
अप्रतिम शब्द चित्रांकन। हेमंत ऋतु के रंग आँखों के सामने साकार हो उठे सुधाजी।
व्योम उतरता कोहरा बन,
धरा संग जैसे आलिंगन ।
तुहिन कण मोती से बिखरे,
पल्लव पुष्प धुले निखरे ।
हुलसित सुरभित यह ऋतु हेमंत
आगत शिशिर, स्वागत वसंत ।।
प्राकृतिक छटा बिखेरती मनभावन सृजन सुधा जी 🙏
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार मीनाजी !
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !
बहुत ही सुंदर कविता से सुंदरतम प्रकृति का स्वागत। बहुत अच्छा।
हार्दिक आभार ए्ं धन्यवाद बडोला जी !
शब्दों का बहुत ही सुंदर चित्रांकन किया है सुधा दी आपने।
हेमन्त ऋतु की प्राकृतिक छटा सृजन में देखते ही बनती है । अत्यन्त सुन्दर कृति ।
Great article. Your blogs are unique and simple that is understood by anyone.
अप्रतिम सृजन
वाह , बहुत ही मनोरम चित्रण . शब्द संयोजन उत्कृष्ट .बहुत खूब सुधा जी
बहुत सुन्दर रचना , हेमंत ऋतु के स्वागत में
अभिनन्दन आदरणीया !
जय श्री कृष्ण !
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