विश्वविदित हो भाषा
मनहरण घनाक्षरी
(घनाक्षरी छन्द पर मेरा एक प्रयास)
हिंदी अपनी शान है
भारत का सम्मान है
प्रगति की बाट अब
इसको दिखाइये
मान दें हिन्दी को खास
करें हिंदी का विकास
सभी कार्य में इसे ही
अग्रणी बनाइये
संस्कृत की बेटी हिंदी
सोहती ज्यों भाल बिंदी
मातृभाषा से ही निज
साहित्य सजाइये
हिंदी के विविध रंग
रस अलंकार छन्द
इसकी विशेषताएं
सबको बताइये
समानार्थी मुहावरे
शब्द-शब्द मनहरे
तत्सम,तत्भव सभी
उर में बसाइये
संस्कृति की परिभाषा
उन्नति की यही आशा
राष्ट्रभाषा बने हिन्दी
मुहिम चलाइये
डिजिटल युग आज
अंतर्जाल पे हैं काज
हिंदी का भी सुगम सा
पोर्टल बनाइए
विश्वविदित हो भाषा
सबकी ये अभिलाषा
जयकारे हिन्दी के
जग में फैलाइए ।
पढ़िए मातृभाषा हिन्दी पर आधारित एक कविता
अपनी राजभाषा
जवाब देंहटाएंहम करें ये आशा
कि अब तो इसे
राष्ट्रभाषा बनाइये ।
अच्छी प्रस्तुति ।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी !आपकी अनमोल प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ ।
हटाएंवाह! बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी !
हटाएंविश्वविदित हो भाषा
जवाब देंहटाएंसबकी ये अभिलाषा
जयकारे हिन्दी के
जग में फैलाइए ।
यही हमारी भी कामना है। बहुत सुंदर सृजन,सादर नमस्कार सुधा जी 🙏
जी, कामिनी जी ! दिल से धन्यवाद एवं आभार 🙏🙏
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.जोशी जी !
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(३०-०९ -२०२२ ) को 'साथ तुम मझधार में मत छोड़ देना' (चर्चा-अंक -४५६८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मेरी रचना को चर्चा मंच पर साझा करने हेतु दिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी !
हटाएंहिंदी को विश्वविदित भाषा बनाने के लिए जिस अनथक प्रयास, लगन, समर्पण, निष्ठा और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है, वह हम हिंदी-प्रेमियों में नहीं है.
जवाब देंहटाएंगंगावतरण तो भागीरथ प्रयास से ही संभव हो पाया था और हिंदी के विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार के लिए भी हम सबको भागीरथ प्रयास ही करना होगा.
जी, आदरणीय सर ! एकदम सही कहा आपने।
हटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका ।🙏🙏
संस्कृति की परिभाषा
जवाब देंहटाएंउन्नति की यही आशा
राष्ट्रभाषा बने हिन्दी
मुहिम चलाइये..
हिंदी को समृद्ध करती बहुत ही प्रेरक सार्थक रचना ।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार सखी !
हटाएंसुधा दी, हिंदी का महत्व जानकर ही आजकल गूगल भी हिंदी को महत्व दे रहा है। जब हम अंग्रेजी की गुलामी की मानसिकता आए उबर पाएंगे तब धीरे धीरे ही सही हिंदी का महत्व समझने लगेगा। सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजी ज्योति जी, सही कहा आपने...
हटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद।
सार्थक एवं ज्ञानबर्धक लेखन
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार मनोज जी !
हटाएंहिंदी भाषा की आर्थिक अभिलाषा
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.कैलाश जी !
हटाएंबहुत सुन्दर कामना समाहित किये हिन्दी भाषा को समर्पित बहुत सुन्दर कृति सुधा जी !
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एवं आभार मीनाजी !
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