चंदा मामा कभी उतरकर, धरती पर आ जाओ ना !
चंदा मामा कभी उतरकर
धरती पर आ जाओ ना !
कैसे मामा हो मामा तुम ?
नाता कुछ तो निभाओ ना !
मम्मी के भाई हो मामा !
बहन से मिलने आओ ना !
कभी हमें भी साथ ले जा के
तारों से मिलवाओ ना !
अपने होकर दूर क्यों इतने ?
अपनेपन से आओ ना !
रसना, माजा, लिम्का, कोला
जी भर के पी जाओ ना !
देखो कितने पर्व धरा पर
आकर साथ मनाओ ना !
होली पे आकर के मामा !
रंग गुलाल लगाओ ना !
दीवाली पे पूजन करके,
खील बताशे खाओ ना !
चरखी और अनार मजे से
सबके साथ छुड़़ाओ ना !
करवाचौथ, ईद पे आके
दर्शन आप कराओ ना !
खीर, पुए का भोग भी जी भर
बड़े मजे से खाओ ना !
चंद्रलोक के किस्से मामा !
आकर हमें सुनाओ ना ।
अपने घट, बढ़, छुप जाने के
राज हमें बतलाओ ना ।
आना-जाना करो ना मामा !
कुछ सम्बन्ध निभाओ ना !
अगुवानी को हम सब तत्पर,
मामी भी संग लाओ ना !
चंदा मामा कभी उतरकर,
धरती पर आ जाओ ना !
चित्र साभार pixabay से
टिप्पणियाँ
सराहनीय।
सादर
चंद्रलोक के किस्से मामा !
आकर हमें सुनाओ ना ।
अपने घट, बढ़, छुप जाने के
राज हमें बतलाओ ना ।
रामधारी सिंह " दिनकर " की कविता याद आ गयी
हठ कर बैठा चान्द एक दिन, माता से यह बोला,
सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला ।
बहुत ही प्यारी रचना, मन बच्चा बन गुनगुनाने लगा है। सादर नमस्कार आपको 🙏
बच्चों को आसानी से याद भी हो जाएगी ।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
ब्लॉग पर आपका स्वागत है ।
धरती पर आ जाओ ना !
कैसे मामा हो मामा तुम ?
नाता कुछ तो निभाओ ना !////😄👌👌👌
वाह!@ बहुत प्यारा बालगीत प्रिय सुधा जी।चन्दा मामा बच्चों के साथ बड़ों के भी सदाबहार मामा हैं।पर सचमुच ये मामा दूर से ही दर्शन देते हैं।बड़े प्यार और मनुहार से दिया गया ये उपालम्भ चन्दा मामा को भी खूब भायेगा और वह जी भर मुस्करायेगा।ढेरों शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें इस भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए ।सस्नेह ❤❤
बहुत बढ़िया..