चित्र साभार,pixabay.com से
बाद पूनम के चाँद वृद्ध सा
सफर न पूरा कर पाया।
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया।
दी शीतलता दान विश्व को
पूनम में है पाया मान
नन्हा सा ये बढ़ा शुक्ल में
पाक्षिक उम्र में वृहद ज्ञान
आज चतुर्थी के अरुणोदय
नभ में दिखी यूँ मलिन काया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
हर भोर उद्भव चमक रवि
हर साँझ फिर अवसानी है
दिन मात्र जीवन सफर विश्व
सम और ना गतिमानी है
आदि अंत का जटिल सत्य
इनको न कभी भरमा पाया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
नसीहत सदा देती प्रकृति
हम सीखते ही हैं कहाँ
नीयत से ही बनती नियति
कर्मठ बताते हैं यहाँ
प्रखर रवि और सौम्य शशि
दोनों ने ही जग चमकाया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
22 टिप्पणियां:
गति मन्द चन्द्र पर तरस आया उत्तम भावपूर्ण रचना
आदि अंत का जटिल सत्य
इनको न कभी भरमा पाया।
बहुत सुंदर चिंतन देती रचना सुधा जी, सुंदर भावपूर्ण सृजन।
चाँद के माध्यम से अपने सुंदर दर्शन दिया है,सूरज और चाँद के उदय अस्त पर सटीक भावाभिव्यक्ति।
सुंदर।
प्रखर रवि और सौम्य शशि
दोनों ने ही जग चमकाया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति,सुधा दी।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 25 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका कैलाश जी!
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कुसुम जी!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.यशोदा जी मेरी रचना को पाँच लिंको का आनन्द के प्रतिष्ठित मंच पर साझा करने हेतु।
बहुत बहुत सुन्दर
स्वर्णिम रथ पे सवार है आज चांद । खूबसूरत बिम्बों से सजी सुंदर सार्थक रचना । करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई सुधा जी ।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. आलोक जी!
सहृदय धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी!
आपको भी करवाचौथ की अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई।
खूबसूरत रचना ।
बादल में छुपा चाँद ..... आज तो यहाँ बारिश हो रही । दिखेगा भी नहीं ।
करवा चौथ की शुभकामनाएँ
सही कहा आपने आज हमारे यहाँ भी दिन भर बारिश थी पर रात नौ बजे तक दीदार हो ही गये चाँद के...करवाचौथ सम्पन्न...आपको भी अनंत शुभकामनाएं।
तहेदिल से धन्यवाद आपका।
वाह
दी शीतलता दान विश्व को
पूनम में है पाया मान
नन्हा सा ये बढ़ा शुक्ल में
पाक्षिक उम्र में वृहद ज्ञान
आज चतुर्थी के अरुणोदय
नभ में दिखी यूँ मलिन काया
बादल में छुपा तब भोर भानु
गति मन्द चंद्र पे तरस आया
बहुत ही सुंदर सृजन 😍💓
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ. जोशी जी!
बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मनीषा जी!
बहुत बढ़िया प्रिय सुधा जी। प्रकृति में हर वस्तु अवसान की ओर अग्रसर है। चांद भी सृष्टि के इस नियम से इतर नहीं। पर चांद का सौभाग्य हैं कि वह पूर्णमासी के बाद घटता है तो अमावस के बाद अपने पूर्ण यौवन को पुनः प्राप्त भी कर लेता है। सबसे दुर्गति दोपाये मानव की है जिसके जीवन की सांझ का कोई सवेरा नहीं। भावपूर्ण अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक शुभकामनाएं आपको ❤️❤️🌷🌷
दी कितनी अयोध्या जगमग सजी हैं
पर ना कहीं कोई राम आ रहा है
कष्टों के बादल कहर ढ़ा रहे हैं
पर्वत उठाने ना श्याम आ रहा है
दीवाली गयी अब दिये बुझ गये सब
वो देखो अंधेरा पुनः छा रहा है।
अभी चाँद रोशन हुआ जो नहीं है
तमस राज अपना फैला रहा है.....।👌👌👌👌👌🙏🌷🌷🌷🌷🌷
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी!अनमोल प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु।
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