रविवार, 20 जून 2021

बिना आपके भला जिंदगी कहाँ सँवरती

happyfathersday


पिता दिवस पर आज आपकी यादें लेकर,

हुई लेखनी मौन बस आँखें हैं बरसती ।


वो बीता बचपन दूर कहीं यादों में झिलमिल

झलक आपकी बस माँ की आँखों में मिलती।


वीरानी राहों में तन्हा सफर हमारा,

हर बढें कदम पर ज्यों शाबाशी आप से मिलती ।


मन का हौसला बन के हमेशा साथ हो पापा !

बिना आपके भला जिन्दगी कहाँ सँवरती ।


ना होकर भी सदा अवलम्बन रहे हमारे,

पिता से बढ़कर कौन प्रभु की पूजा बनती ।


हर पल अपने होने का एहसास कराया,

मन आल्हादित पर दर्शन को आँख तरसती ।


हर इक जन्म में पिता आप ही रहें हमारे,

काश प्रभु से जीते जी यह आशीष मिलती ।।


        चित्र , साभार photopin.com  से...



45 टिप्‍पणियां:

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

मार्मिक प्रस्तुति

मन की वीणा ने कहा…

हृदय स्पर्शी,
सुधा जी !
सच जैसे मेरे ही भाव हैं।
वो नहीं होकर भी हैं हममें, अपने संस्कार रोप गये हैं अपनी दृढ़ता अपना दर्शन सब हम पर दिखता तो है।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद रितु जी!
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी!
सादर आभार।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

ना होकर भी सदा अवलम्बन रहे हमारे

पिता से बढ़कर कौन प्रभु की पूजा बनती



हर पल अपने होने का एहसास कराया

मन आल्हादित पर दर्शन को आँख तरसती
बहुत सुंदर रचना। और हाँ ओ हमेशा ही साथ हैं हमारे विचारों में,हमारे भावों में, हमारे चिंतन में ।

How do we know ने कहा…

Bahut sundar!!!

Rohitas Ghorela ने कहा…

बहुत सुंदर रचना.
पिता जी से अटूट लगाव ही है जो हर जन्म में बस उन्हीं की सन्तान होना चाहते हैं.

मैंने ऐसे विषय पर; जो आज की जरूरत है एक नया ब्लॉग बनाया है. कृपया आप एक बार जरुर आयें. ब्लॉग का लिंक यहाँ साँझा कर रहा हूँ-
नया ब्लॉग नई रचना
ब्लॉग अच्छा लगे तो फॉलो जरुर करना ताकि आपको नई पोस्ट की जानकारी मिलती रहे.

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर हृदय स्पर्शी रचना

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

मर्मस्पर्शी रचना. शुभकामनाएँ.

दिव्या अग्रवाल ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

पिता का साथ, उनके इस दुनिया में होने न होने से कभी खत्म नहीं होता,वो तो हमारी सजीव परछाई की तरह आजीवन साथ चलते हैं,अगर सहृदय पिता का साथ मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाता है ।सुंदर सृजन के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएँ,पिताजी को सादर नमन।

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार भाई!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आपका...
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार रोहिताश जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.आलोक जी!
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद जेन्नी शबनम जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार दिव्या जी मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद जिज्ञासा जी!
सही कहा आपने कि पिता दुनिया में ना होने पर भी आजीवन साथ होते हैं।

उर्मिला सिंह ने कहा…

मार्मिक प्रस्तुति।

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहद हृदयस्पर्शी सृजन।

Meena Bhardwaj ने कहा…

पिता के लिए मर्मस्पर्शी भावसिक्त रचना । माता-पिता का स्नेहाशीष परम सौभाग्य है। उनके वरद्हस्त के आगे सारी दुनिया छोटी है । बहुत सुन्दर सृजन सुधा जी!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ना रहते हुए भी हमारे आस-पास रह हमें संभालने वाले, धीरज देने वाले, भटकन से बचाने वाले........पिता

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

पिता के प्रति मन के उद्द्गारों को खूबसूरती से उकेरा है . सुन्दर रचना सुधाजी

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद उर्मिला जी!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद सखी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार मीना जी !

Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा आपने सर!
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद आ.संगीता जी!
सादर आभार।

Bharti Das ने कहा…

मन का हौसला बन के हमेशा साथ हो पापा

बिना आपके भला जिन्दगी कहाँ सँवरती
अनुपम कृति

Anupama Tripathi ने कहा…

मन का हौसला बन के हमेशा साथ हो पापा

बिना आपके भला जिन्दगी कहाँ सँवरती


बहुत सुन्दर रचना है !!शायद प्रत्येक संवेदनशील ह्रदय के यही उद्गार होते हैं पिता के लिए !!

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद भारती जी!
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.अनुपमा जी!

Kamini Sinha ने कहा…

हर पल अपने होने का एहसास कराया

मन आल्हादित पर दर्शन को आँख तरसती



हर इक जन्म में पिता आप ही रहें हमारे

काश प्रभु से जीते जी यह आशीष मिलती ।।

हर बेटी के मन के भावों को शब्द दे दिए आपने सुधा जी,सादर नमन आपको

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद कामिनी जी!
सादर आभार।

नूपुरं noopuram ने कहा…

माँ की आंखों में झलक मिलती ..
मर्मस्पर्शी ।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार नुपुरं जी!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पिता को जिया है इन मधुर स्मृतियों में ...
बहुत सुन्दर ...

विमल कुमार शुक्ल 'विमल' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
वो बीता बचपन दूर कहीं यादों में झिलमिल

झलक आपकी बस माँ की आँखों में मिलती

Jyoti Dehliwal ने कहा…

हर बेटी के मनोभावों को व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना, सुधा दी।

शुभा ने कहा…

वाह! सुधा जी ,हृदयस्पर्शी सृजन ।

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

माँ की ममता की और उसके त्याग की चर्चा तो हर कहीं होती है पर पिता को न जाने क्यों हाशिये पर डाल दिया जाता है.
सुधा जी, आपने अपने पिताजी को प्यार से ऐसे याद किया है कि मुझे अपने पिताजी की याद आ गयी.

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार एवं धन्यवाद ज्योति जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार एवं धन्यवाद शुभा जी !

Sudha Devrani ने कहा…

सर ! आप तो अपने पूज्य पिताजी को अपने ज्यादातर संस्मरणों में याद करते ही रहते हैं । और करें भी क्यों नहीं, जिन माता पिता से हमें जीवन का हर दिन मिला उनके लिए सिर्फ एक दिन क्यों ?
आपके आशीर्वचन हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।

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