"प्रिया !तुम्हारी मम्मी दिखाई नहीं दे रही कल से...क्या बात है तबियत तो ठीक है न उनकी"?
सामने वाली बालकनी से सीमा ने पूछा तो प्रिया रूआँसी आवाज में बोली, "नहीं आन्टी ! मम्मी ठीक नहीं हैं उन्हें कोरोना हो गया है.............कल जो कोरोना टेस्ट करने वाले आये थे न सोसाइटी में, उनके टेस्ट में मम्मी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव है,तब से मम्मी ने अपने को कमरे में बन्द कर दिया है, और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं है....सिर दर्द से परेशान है मम्मी.... हम कुछ भी नहीं कर पा रहे"।
"अरे बेटा! पॉजिटिव रिपोर्ट तो मेरी भी आयी कल, मुझे भी बहुत टेंशन हुई और साथ में शक भी ........ । तो मैंने जाकर प्राइवेट अस्पताल में दुबारा टेस्ट करवाया वहाँ मेरी रिपोर्ट नेगेटिव आयी......।
और तुम्हारी मम्मी तो घर पर ही रहती हैं और उन्हें कल तक तो कोरोना के कोई भी लक्षण नहीं थे ,फिर पॉजिटिव रिपोर्ट मिलते ही तबियत कैसे खराब हो गयी...?
बेटा ! अपनी मम्मी का एक बार और टेस्ट करवाइए, कहीं उनकी तबियत बिगड़ने का कारण उनका वहम तो नहीं"।
"जी आन्टी ! आप सही कह रही हैं, मैं पापा को बताती हूँ"...। कहकर प्रिया झट से अन्दर चली गयी।
अगली सुबह कमला बालकनी में पौधों को पानी देती दिखी तो सीमा ने पूछा, कैसी हो कमला बहन ?
"बिल्कुल ठीक हूँ दीदी! कोई कोरोना - वोरोना नहीं है मुझे, डॉक्टर ने बताया कि टेन्शन के कारण वीपी और सिर दर्द है........। इनकी झूठी रिपोर्ट ने तो........!! अब क्या ही कहें.........? वो तो कल आपने बताया न प्रिया को.....तब दोबारा टेस्ट करवाया, धन्यवाद आपका ! पर देखो न... ये वहम भी अपनेआप में एक बड़ी बीमारी है" , है न दीदी !....।
चित्र साभार, photopin.com से
27 टिप्पणियां:
बस सकरात्मक रहें । वहम कर के परेशान न हो कर सही टेस्ट कराएँ । सार्थक संदेश देती हुई सुंदर लघु कथा ।
सार्थक प्रयास करती रचना।बहुत सुंदर।
तहेदिल से धन्यवाद आ.संगीता जी! अनमोल एवं सारगर्भित प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन करने हेतु...
सादर आभार।
सहृदय धन्यवाद एवं आभार भाई!
सुधा जी वहम स्वयं में ही एक बिमारी है,आपकी प्रस्तुति साकारात्मक संदेश देने में सफल हैं ,किन्तु वहम की नहीं सतर्कता की अवश्य आवयशकता है ।
सही कहा रितु जी आपने सतर्कता की आवश्यकता है...। गलत रिपोर्ट अच्छे खासे व्यक्ति को वहम में डालकर मानसिक बीमार कर सकती है...यदि हमने मन से स्वयं को बीमार मान लिया तो इसी नकारात्मकता के चलते हम बीमार महसूस करने लगते हैं
आपका तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार।
सार्थक विषय है सुधा जी आज बस ऐसी सकारात्मकता की विशेष आवश्यकता है।
उपयोगी कथानक।
बहुत सुंदर रचना
सच कहा सुधा दी कि वहम से अच्छा भला इंसान बीमार हो जाता है। सार्थक संदेश देती रचना।
जी कुसुम जी!तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका सराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु...।
सस्नेह आभार सखी!
ये बिमारी ही ऐसी है ... चाहे झूठ ही सही ... पर वहम न पाल कर सावधानी बरतते हुए निकारण करना जरूरी है ...
अपना ख्याल रखिये ...
सार्थक कहानी आज के दौर की,ऐसा देखने को भी मिल रहा है,कई लोग इसी गफलत में परेशान हैं, कि उन्हें कोरोना है,या फ्लू । सही संदर्भ उठाती प्रासंगिक कहानी । आपको सादर शुभकामनाएं ।
अच्छी रचना है आपकी सुधा जी। वहम का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था। बाक़ी सावधानियों के साथ-साथ वहम से बचना भी ज़रूरी है।
जी, अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी!
जी, हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार
अच्छी कहानी
बिलकुल सही कहा आपने बहम और लापरवाहियां ही हमारी असली मुसीबत की जड़ है। आज के वक़्त में सुंदर सीख देती कहानी,सादर नमन सुधा जी
सतर्क रहना जरूरी है।
मनोबल बना रहे।
हमारे आसपास भी ऐसे कुछ केस हुए हैं। एक लैब में रिपोर्ट पॉजिटिव, दूसरी में निगेटिव। पता नहीं सच क्या है?
जी मीना जी ,यहाँ भी यही हुआ..।
और सब ठीक-ठाक है लम्बे समय तक आइसोलेट रहकर भी कुछ हुआ नहीं उन्हें।
बस वहम और हो गया...
सार्थक प्रतिक्रिया हेतु तहेदिल से धन्यवाद आपका।
सादर आभार एवं धन्यवाद जोशी जी!
सहृदय धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मनोज जी!
हार्दिक धन्यवाद शिवम जी!
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