करते रहो प्रयास (दोहे)

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1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास ।     नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास ।   सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर ।   करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास ।    सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास ।    सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

चलो बन गया अपना भी आशियाना



Old broken home full of dreams and hopes

कहा था मैंने तुमसे
इतना भी न सोचा करो !
एक दिन सब ठीक हो जायेगा
अपना ख्याल भी रखा करो !

सूखे पपड़ाये से रहते
तुम्हारे ये होंठ !
फुर्सत न थी इतनी कि
पी सको पानी के दो घूँट !

अथक,अनवरत परिश्रम करके 
हमेशा चली तुम संग मेरे मिलके
दर-दर की भटकन, 
बनजारों सा जीवन !

तब तुमने था चाहा ये आशियाना !
लगता बुरा था किरायेदार कहलाना!

पाई-पाई बचा-बचाके
जोड़-जुगाड़ सभी लगाके
उम्र भर करते-कमाते
आज बुढ़ापे की देहलीज पे आके

अब जब बना पाये ये आशियाना
तब तक खो चुकी तुम
अपनी अनमोल 
सेहत का खजाना !

रूग्ण तन शिथिल मन
फिर भी कराहकर,
कहती मुझे तुम ये घर सजाना !
चलो बन गया अपना भी आशियाना !

पर मैं करूं क्या अब तुम्हारे बिना ?
तेरी कराह पर तड़पे दिल मेरा !
दुख में हो तुम तो दर्द में हूँ मैं भी,
नहीं भा रहा अपना ये आशियाना !
अकेले क्या इसको मैंने सजाना ?
तुम बिन नहीं कुछ भी ये आशियाना !

काश मैं तब और सक्षम जो होता !
जीवन तुम्हारा कुछ और होता ।
आज भी तुम सुखी मुस्कुराती
ये आशियाना स्वयं से सजाती

हम फिर उसी प्रेम को आज जीते !
बिखरे से सपनों को फिर से संजोते !!

 खुशी से कहते इसे आशियाना !
चलो बन गया अपना भी आशियाना !
                                       
                       चित्र; साभार गूगल से



            













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