करते रहो प्रयास (दोहे)

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1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास ।     नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास ।   सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर ।   करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास ।    सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास ।    सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

इधर कुआँ तो उधर खायी है.....


 political leaders in a trap

अपने देश में तो आजकल चुनाव की
लहर सी आयी है।
पर ये क्या ! मतादाताओं के चेहरे पर तो
गहरी उदासीनता ही छायी है ।
करें भी क्या, हमेशा से मतदान के बाद
जनता देश की बहुत पछतायी है ।
इस बार जायेंं तो जायें भी कहाँँ
इधर कुआँ तो उधर खायी है ।

चन्द सफलताओं के बाद ही भा.ज.पा में तो
जाने कैसी अकड़ सी आयी है ।
अपने "पी.एम" जी तो बस बाहर ही छपलाये
देश को भीतर से तो दीमक खायी है ।
बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी और मंहगाई में
रत्ती भर भी कमी नहीं आयी है ।
शिशिर की ठण्ड से ठिठुरकर मरते गरीब
जाने कहाँ सरकार ने कम्बल बँटवायी हैं ?
इस बार जायें तो जायें भी कहाँ
इधर कुआँँ तो उधर खायी है ।

कॉंग्रेस की जी-तोड़, कमर-कस मेहनत
शायद रंग ले भी आयेगी ।
मुफ्त ये,मुफ्त वो, मुफ्त सो,का लालच देकर
शायद बहुमत पा भी जायेगी ।
जरूरत, लालच,या मजबूरी (जो भी कहो)
बेचकर अपने बेसकीमती मत को
फिर नये नेता के बचकानेपन पर
सारी जनता सिर धुन-धुनकर पछतायेगी ।

रुको ! देखो !समझो ! परखो ! फिर सही चुनो !
लिखने में मेरी तो लेखनी भी कसमसाई है ।
हमेशा से यहाँ यूँ ही ठगी गयी जनता
राजनीति ने अपनी इतिहास दोहराई है ।
अब जायें तो जायें भी कहाँ
इधर कुआँ तो उधर खायी है ।




                               चित्र;साभार गूगल से...

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