करते रहो प्रयास (दोहे)

चित्र
1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास ।     नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास ।   सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर ।   करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास ।    सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास ।    सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

धरा तुम महकी-महकी बहकी-बहकी सी हो




beautiful sunset landscape showing mountains and trees

फूलों की पंखुड़ियों से
धरा तुम यूँ मखमली हो गयी
महकती बासंती खुशबू संग
शीतल बयार हौले से बही
खुशियों की सौगात लिए तुम
अति प्रसन्न सी हो ।
धरा तुम महकी - महकी बहकी - बहकी सी हो !

सुमधुर सरगम गुनगुनाती
धानी चुनरी सतरंगी फूलों कढ़ी
हौले-हौले से सरसराती,
नवोढ़ा सा सोलह श्रृंगार किये
आज खिली - खिली सजी-धजी सी हो ।
धरा तुम महकी - महकी बहकी-बहकी सी हो !

कोई बदरी संदेशा ले के आई  क्या ?
आसमां ने प्रेम-पाती भिजवाई क्या ?
प्रेम रंग में भीगी भीगी
आज मदहोश सी हो ।
धरा तुम महकी-महकी बहकी - बहकी सी हो !

मिलन की ऋतु आई
धरा धानी चुनरीओढे मुख छुपाकर यूँ लजाई ,
नव - नवेली सुमुखि जैसे सकुचि बैठी मुँह दिखाई
आसमां से मिलन के पल "हाल ए दिल" तुम कह भी पायी ?
आज इतनी खोई खोई सी हो ।
धरा तुम महकी - महकी बहकी - बहकी सी हो !

चाँद भी रात सुनहरी आभा लिए था ।
चाँदनी लिबास से अब ऊब गया क्या ?
तुम्हारे पास बहुत पास उतर आया ऐसे ,
सगुन का संदेश ले के आया जैसे
सुनहरी चाँदनी से तुम नहायी रात भर क्या ?
ऐसे निखरी और निखरी सी हो ।
धरा तुम महकी-महकी बहकी-बहकी सी हो !

                                चित्र : साभार Pinterest से ..

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