शारदीय नवरात्र का ,आया पावन पर्व (दोहे)

चित्र
  1. शारदीय नवरात्र का, आया पावन पर्व ।        नवदुर्गा नौरूप की, गाते महिमा सर्व ।। 2. नौ दिन के नवरात्र का , करते जो उपवास ।        नवदुर्गा माता सदा , पूरण करती आस ।। 3. जगराते में हैं सजे, माता के दरबार ।      गूँज रही दरबार में, माँ की जय जयकार ।। 4. माता के नवरूप का, पूजन करते लोग ।      सप्तसती के पाठ से, बनें सुखद संयोग ।। 5. संकटहरणी माँ सदा, करती संकट दूर ।      घर घर खुशहाली रहे, धन दौलत भरपूर ।। 6. शारदीय नवरात्र की, महिमा अपरम्पार ।    विधिवत पूजन कर सदा, मिलती खुशी अपार ।। हार्दिक अभिनंदन आपका🙏 पढ़िए एक और रचना कुण्डलिया छंद में ●  व्रती रह पूजन करते

धरा तुम महकी-महकी बहकी-बहकी सी हो




beautiful sunset landscape showing mountains and trees

फूलों की पंखुड़ियों से
धरा तुम यूँ मखमली हो गयी
महकती बासंती खुशबू संग
शीतल बयार हौले से बही
खुशियों की सौगात लिए तुम
अति प्रसन्न सी हो ।
धरा तुम महकी - महकी बहकी - बहकी सी हो !

सुमधुर सरगम गुनगुनाती
धानी चुनरी सतरंगी फूलों कढ़ी
हौले-हौले से सरसराती,
नवोढ़ा सा सोलह श्रृंगार किये
आज खिली - खिली सजी-धजी सी हो ।
धरा तुम महकी - महकी बहकी-बहकी सी हो !

कोई बदरी संदेशा ले के आई  क्या ?
आसमां ने प्रेम-पाती भिजवाई क्या ?
प्रेम रंग में भीगी भीगी
आज मदहोश सी हो ।
धरा तुम महकी-महकी बहकी - बहकी सी हो !

मिलन की ऋतु आई
धरा धानी चुनरीओढे मुख छुपाकर यूँ लजाई ,
नव - नवेली सुमुखि जैसे सकुचि बैठी मुँह दिखाई
आसमां से मिलन के पल "हाल ए दिल" तुम कह भी पायी ?
आज इतनी खोई खोई सी हो ।
धरा तुम महकी - महकी बहकी - बहकी सी हो !

चाँद भी रात सुनहरी आभा लिए था ।
चाँदनी लिबास से अब ऊब गया क्या ?
तुम्हारे पास बहुत पास उतर आया ऐसे ,
सगुन का संदेश ले के आया जैसे
सुनहरी चाँदनी से तुम नहायी रात भर क्या ?
ऐसे निखरी और निखरी सी हो ।
धरा तुम महकी-महकी बहकी-बहकी सी हो !

                                चित्र : साभार Pinterest से ..

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