खोये प्यार की यादें......

road towards blur (lost memories)


वो ऐसा था/वो ऐसी थी यही दिल हर पल कहता है,
गुजरती है उमर, यादों में खोया प्यार रहता है.........

भुलाये भूलते कब हैं वो यादें वो मुलाकातें,
भरे परिवार में अक्सर अकेलापन ही खलता है ।

कभी तारों से बातें कर कभी चंदा को देखें वो,
कभी गुमसुम अंधेरे में खुद ही खुद को समेटें वो ।

नया संगी नयी खुशियाँ कहाँ स्वीकार करते हैं,
उन्हीं कमियों में उलझे ये तो बस तकरार करते हैं ।

कहाँ जीते हैं ये दिल से, ये घर नाबाद रहता है,
गुजरती है उमर यादोंं में खोया प्यार रहता है..........

साथी हो सगुण फिर भी इन्हेंं कमियां ही दिखती हैं,
जो पीछे देख चलते हैं, उन्हेंं ठोकर ही मिलती हैं.।

कशमकश में रहे साथी, कमीं क्या रह गयी मुझमें
समर्पित है जिन्हेंं जीवन,वही खुश क्यों नहीं मुझमें ।

करीब आयेंगे ये दिल से, यही इन्तजार रहता है,
गुजरती है उमर यादों में खोया प्यार रहता है.......।

बड़े जिनकी वजह से दूर हो जीना इन्हेंं पडता,
नहीं सम्मान और आदर उन्हें इनसे कभी मिलता.।

खुशी इनकी इन्हें देकर बड़प्पन खुद निभाते हैं,
वही ताउम्र  छोटों  से  उचित  सम्मान पाते हैं .।

दिल से दिल मिल जाएंं जो वो घर आबाद रहता है,
गुजरती है उम्र खुशियों में, प्यारा सा घर संसार रहता है....

टिप्पणियाँ

  1. एक अनचाहे दर्द की अनुभूति हो आई आपकी इस रचना में सब को मुकम्मल जहां कहां मिलती है बहुत ही अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. बडे जिनकी वजह से दूर हो जीना इन्हेंं पडता,
    नहीं सम्मान और आदर उन्हें इनसे कभी मिलता.।
    बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह, सुंदर अहसास के साथ साथ मर्म को छूती सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  4. गोपेश मोहन जैसवाल5 जुलाई 2021 को 9:01 am बजे

    बहुत सुन्दर !
    घर को स्वर्ग बनाने की परिपूर्ण विधि !

    जवाब देंहटाएं
  5. महज़ आकर्षण के लिए खुद को समेट रखा था
    हकीकत की ज़मीन पर जब ये पाँव रखा था
    नहीं मिलता सबको जो मन ने चाहा होता है
    स्वीकार करना चाहिए जो किस्मत में होता है ।।

    आपने बखूबी प्रेम करने वालों के दर्द को बयाँ किया है जिनको अपनी पसंद का साथी न मिला हो ।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!सुधा जी ,बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(18-7-21) को "प्रीत की होती सजा कुछ और है" (चर्चा अंक- 4129) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु।

      हटाएं
  8. बेहतरीन ग़ज़ल.प्रिय सुधा जी आपकी लेखनी हर विषय पर कमाल करती है।

    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं

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