श्राद्ध में करें तर्पण (मनहरण घनाक्षरी)

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  श्राद्ध में करें तर्पण, श्रद्धा मन से अर्पण, पितरों को याद कर, पूजन कराइये । ब्राह्मण करायें भोज, उन्नति मिलेगी रोज, दान, दक्षिणा, सम्मान, शीष भी नवाइये । पिण्डदान का विधान, पितृदेव हैं महान, बैतरणी करें पार  गयाजी तो जाइये । तर्पण से होगी मुक्ति, श्राद्ध है पावन युक्ति, पितृलोक से उद्धार, स्वर्ग पहुँचाइये । पितृदेव हैं महान, श्राद्ध में हो पिण्डदान, जवा, तिल, कुश जल, अर्पण कराइये । श्राद्ध में जिमावे काग, श्रद्धा मन अनुराग, निभा सनातन रीत, पितर मनाइये । पितर आशीष मिले वंश खूब फूले फले , सुख समृद्धि संग, खुशियाँ भी पाइये । सेवा करें बृद्ध जन, बात सुने पूर्ण मन, विधि का विधान जान, रीतियाँ निभाइये । हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और मनहरण घनाक्षरी छंद ●  प्रभु फिर आइए

मिला कुण्डली ब्याहते

Arranged marriage dohe


मिला कुण्डली ब्याहते, ग्रह गुण मेल आधार ।

अजनबी दो एक बन, बसे नया घर - बार ।


निकले दिन हफ्ते गये,  गये मास फिर साल ।

कुछ के दिल मिल ही गये, कुछ का खस्ता हाल।


दिल मिल महकी जिंदगी, घर आँगन गुलजार ।

जोड़ी जो बेमेल सी, जीवन उनका भार ।


कुछ इकतरफा प्रेम से, सींचे निज संसार ।

साथी से मिलता नहीं, इक कतरा भी प्यार ।


कुछ को बिछड़े प्रेम का, गहराया उन्माद ।

जीवन आगे बढ़ रहा, ठहरे यादों साथ।


साथी में ढूँढ़े सदा, अपना वाला प्यार।

गुण उसके दिखते नहीं, करते व्यर्थ प्रहार ।


अनदेखा कर आज को, बीती का कर ध्यान ।

सुख समृद्धि विहीन ये, जीवन नरक समान ।




टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 सितंबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. गृहस्थ जीवन के सार तत्व का आकलन करता अत्यंत सुन्दर सृजन ॥

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  3. जी आपने बहुत ही सुंदर तरीक़े से लेखनी के माध्यम से सत्य कहा है विचारों का मिलना जीवन में बहुत मायने रखता है ।

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    उत्तर
    1. जी, मधुलिका जी !अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।

      हटाएं
  4. वर्तमान परिदृश्य को दर्शाती सुन्दर प्रस्तुती.

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  5. गोपेश मोहन जैसवाल13 अक्टूबर 2023 को 6:43 am बजे

    प्रगतिशील विचार !
    कुण्डली मिलाना, गृह मिलाना आदि सर्वथा अवैज्ञानिक है और पंडितों की धूर्त कमाई का साधन है.
    आज के युग में अरेंज्ड मैरिज की भी कोई उपयोगिता नहीं रह गयी है.
    लड़का-लड़की एक-दूसरे को पहले कुछ जानें, कुछ समझें, अपने दम पर घर-गृहस्थी चलाने लायक बनें, तभी उनकी शादी करने की बात होनी चाहिए.

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    उत्तर
    1. जी, आ. सर ! आपका हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद । आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ।
      सादर नमन 🙏🙏🙏🙏

      हटाएं

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