सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात

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  किसको कैसे बोलें बोलों, क्या अपने हालात  सम्भाले ना सम्भल रहे अब,तूफानी जज़्बात मजबूरी वश या भलपन में,सहे जो अत्याचार जख्म हरे हो कहते मन से , करो तो पुनर्विचार तन मन ताने देकर करते साफ-साफ इनकार बोले अब न उठायेंगे,  तेरे पुण्यों का भार तन्हाई भी ताना मारे, कहती छोड़ो साथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात सबकी सुन सुन थक कानों ने भी सुनना है छोड़ा खुद की अनदेखी पे आँखें भी रूठ गई हैं थोड़ा ज़ुबां लड़खड़ा के बोली अब मेरा भी क्या काम चुप्पी साधे सब सह के तुम कर लो जग में नाम चिपके बैठे पैर हैं देखो, जुड़ के ऐंठे हाथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात रूह भी रहम की भीख माँगती, दबी पुण्य के बोझ पुण्य भला क्यों बोझ हुआ,गर खोज सको तो खोज खुद की अनदेखी है यारों, पापों का भी पाप ! तन उपहार मिला है प्रभु से, इसे सहेजो आप ! खुद के लिए खड़े हों पहले, मन मंदिर साक्षात सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात ।।

ध्वज तिरंगा हाथ लेकर....

Indian flag


ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
      इक हवा फिर से बहेगी
देश की वैदिक कथा को
     विश्व भर में फिर कहेगी

है सनातन धर्म अपना,
      देश की गरिमा बढ़ाता।
वेद में ब्रह्मांड पढ़कर
    विज्ञान भी है मात खाता।
श्रेष्ठ चिन्तन आचरण की,
     भावना  मन में   बढ़ेगी ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
      इक हवा फिर से बहेगी ।

व्यथित होंगे जन तन मन से,
          सूझेगा न जब उपचार दूजा ।
आज जो अनभिज्ञ हमसे,
          कल  करेंगे  हवन  पूजा ।
शुद्ध इस वातावरण से,
         एक खुशबू फिर बढ़ेगी ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
       इक हवा फिर से बहेगी ।


विश्वगुरू बन देश अपना,
       पद पे फिर आसीन होगा ।
योग और संयोग के बल,
      क्रांति नव संदेश देगा ।
वसुधैव कुटुम्बकम की,
         भावना फिर से फलेगी।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर ,
      इक हवा फिर से बहेगी ।

                     चित्र साभार गूगल से....

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर सकारात्मक संदेश देती उर्जावान काव्य रचना. 👏 👏 👏

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ सुधा जी !बहुत बहुत धन्यवाद आपका.....।

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  2. वाह!!बेहतरीन रचना सुधा जी ।
    जरूर बनेगा विश्व गुरु 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी शुभा जी !हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

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  3. उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद जेन्नी शबनम जी!
      अत्यंत आभार।

      हटाएं
  4. बहुत सुंदर सकारात्मक ऊर्जा देती रचना

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    उत्तर
    1. हृदयतल से धन्यवाद रितु जी !
      सस्नेह आभार।

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. आभारी हूँ जोया जी !
      बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  6. सकारात्मक संदेश देती बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी !
      सस्नेह आभार आपका।

      हटाएं
  7. सहृदय धन्यवाद अनीता जी !मेरी रचना साझा करने हेतु....।
    अत्यंत आभार।

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  8. बहुत सुंदर, सरस और सकारात्मक रचना। बधाई और आभार!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी ! उत्साहवर्धन हेतु...।
      सादर आभार।

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  9. विश्वगुरू बन देश अपना,
    पद पे फिर आसीन होगा ।
    योग और संयोग के बल,
    नवक्रांति का संदेश देगा ।

    बहुत खूब ,आपकी ये सोच सिर्फ एक आस या संदेश नहीं हैं ये यथार्थ होकर रहेगा ,भारत के जिन वैदिक कर्मकाण्डों को हम भारतवासियो ने ही नाकर दिया था उसे फिर से पुरे मान के साथ हमें अपनाना ही होगा ,बहुत ही लाज़बाब सृजन सुधा जी ,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ कामिनी जी आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हेतु...हृदयतल से धन्यवाद आपका।

      हटाएं
  10. सकारात्मक संदेश देती रचना...ऐसी रचनाओं से ऊर्जा मिलती है

    जवाब देंहटाएं
  11. आमीन ...
    जो आप कह रही हैं काश ऐसा समय हम सब जीते जी ही देख सकें ...
    देश का पुनः निर्माण जरूरी है ... तिरंगे का मान जरूरी है ... बहत ही सुन्दर ओजस्वी शब्दों से लाजवाब रचना का सृजन ....

    जवाब देंहटाएं
  12. हार्दिक धन्यवाद नासवा जी! उत्साहवर्धन हेतु...
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सकारात्मक और ऊर्जावान सृजन सुधा जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ मीना जी ! बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

      हटाएं

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