बी पॉजिटिव

"ओह ! कम ऑन मम्मा ! अब आप फिर से मत कहना अपना वही 'बी पॉजिटिव' ! कुछ भी पॉजिटिव नहीं होता हमारे पॉजिटिव सोचने से ! ऐसे टॉक्सिक लोगों के साथ इतने नैगेटिव एनवायरनमेंट में कैसे पॉजिटिव रहें ? कैसे पॉजिटिव सोचें जब आस-पास इतनी नेगेटिविटी हो ?.. मम्मा ! कैसे और कब तक पॉजिटिव रह सकते हैं ? और कोशिश कर भी ली न तो भी कुछ भी पॉजिटिव नहीं होने वाला ! बस भ्रम में रहो ! क्या ही फायदा ? अंकुर झुंझलाहट और बैचेनी के साथ आँगन में इधर से उधर चक्कर काटते हुए बोल रहा था । वहीं आँगन में रखी स्प्रै बोतल को उठाकर माँ गमले में लगे स्नेक प्लांट की पत्तियों पर जमी धूल पर पानी का छिड़काव करते हुए बोली, "ये देख कितनी सारी धूल जम जाती है न इन पौधों पर । बेचारे इस धूल से तब तक तो धूमिल ही रहते है जब तक धूल झड़ ना जाय" । माँ की बातें सुनकर अंकुर और झुंझला गया और मन ही मन सोचने लगा कि देखो न माँ भी मेरी परेशानी पर गौर ना करके प्लांट की बातें कर रही हैं । फिर भी माँ का मन रखने के लिए अनमने से उनके पास जाकर देखने लगा , मधुर स्मित लिए माँ ने बड़े प्यार से कहा "ये देख ...
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (११ -०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- ३ (चर्चा अंक - ३५७७) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
-अनीता सैनी
सहृदय धन्यवाद अनीता जी मेरी रचना साझा करने के लिए...
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार...।
है राहें औऱ भी नजरे तो उठा !
जवाब देंहटाएंउम्मीदें बढा फिर चलें तो जरा !
वजह मुस्कुराने की हैं और भी
बहुत खूब...., सादर नमन
सहृदय धन्यवाद, कामिनी जी !
हटाएंसस्नेह आभार।
एक हवा प्रेम की सरसराते हुए........
जवाब देंहटाएंबिखरी जुल्फों को यूँ सहलाने लगी
*देख ऐसी कला उस कलाकार की,
भावना गीत बन गुनगनाने लगी.........
बेहतरीन रचना सखी
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार सखी।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 17 अक्टूबर 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
है राहें औऱ भी नजरे तो उठा !
जवाब देंहटाएंउम्मीदें बढा फिर चलें तो जरा !
वजह मुस्कुराने की हैं और भी,
सकारात्मक भावों का संचार करती अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
जिंदगी कोई न कोई मार्ग चुन मुस्कराती रहे ।
जवाब देंहटाएंसकारात्मक भाव से सजी सुंदर रचना।
वजह मुस्कुराने की हैं और भी,
जवाब देंहटाएंजो नहीं उस पर रोना तो छोड़े जरा...
बहुत खूब…👌👌
देख ऐसी कला उस कलाकार की,
जवाब देंहटाएंभावना गीत बन गुनगनाने लगी ।
मन में आस और विश्वास भरती बेहद प्रेरक और सुंदर लेखन सुधा जी।
सस्नेह।
वजह मुस्कुराने की हैं और भी,
जवाब देंहटाएंजो नहीं उस पर रोना तो छोड़े जरा...
सकारात्मक सोच दर्शाती बहुत सुंदर रचना,सुधा दी।
बेहतरीन रचना ,पॉजिटिव सोच को बताती
जवाब देंहटाएंआशा का एक दीप जीवन को आलोकित कर देता है, बस वो दीप जलाए रखना ही जीवन का सुधा तत्व है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन सुधा जी।
सकारात्मक सोच का दर्पण।
कविता के द्वितीय छन्द ने तो खूबसूरती की इन्तहा ही कर दी है। सच में बहुत सुन्दर लिख गई हैं आप! जुगनू के सन्दर्भ ने कविता की सुंदरता को पराकाष्ठा तक पहुँचा दिया है। इस सुन्दर रचना के लिए बधाई सुधा जी!
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