बधाई शुभकामनाएं

आओ लौटें ब्लॉग पर, लेखन सुलेख कर एक दूसरे से फिर, वही मेल भाव हो । पंच लिंक का आनंद,मंच सजे सआनंद हर एक लिंक सार, पढ़ने का चाव हो । सम्मानित चर्चाकार, सम्भालें हैं कार्यभार स्थापना दिवस आज, पूरा हर ख़्वाव हो । शुभकामना अनेक, मंच फले अतिरेक ऐसे नेक कार्य हेतु, मन से लगाव हो । पंच लिंक की चौपाल, सजे यूँ ही सालों साल बधाई शुभकामना, शुद्ध मन भाव हो । मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर 👇 ब्लॉग से मुलाकात.. बहुत समय के बाद
अरे वाह्ह दी बरसा ऋतु का मनमोहक चित्र खींचती बहुत सुंदर कुंडलिनी।
जवाब देंहटाएंप्रणाम दी
सादर।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०६-०८-२०२३) को 'क्यूँ परेशां है ये नज़र '(चर्चा अंक-४६७५ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर, सावन मे शिवभक्ति में लीन काँवर यात्रा का अनुभव अनमोल है🙏
जवाब देंहटाएंभोले की भक्ति में सरोबर सुंदर …
जवाब देंहटाएंसावन की मनमोहक छटा बिखेरती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंमृदुल काव्य कृति
जवाब देंहटाएंजय भोले शंकर !
जवाब देंहटाएंसुधा जी, आपकी वन्दना सुन कर भोले बाबा अति प्रसन्न होंगे.
हमारे घर के पास विशाल गौरी शंकर मन्दिर है.
सावन के हर सोमवार को तो वहां भक्तों का मेला सा लग जाता है.
वाह! सुधा जी ,भक्ति भाव से भीगी हुई सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत मनमोहक सृजन
जवाब देंहटाएंसावन मास पर बहुत सुंदर मनहर कुंडलियां।
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