लघु कविताएं - सैनर्यु
धार्मिक परम्पराओं एवं रीति रिवाजों पर बने हायकु सैनर्यु कहलाते हैं । हायकु की तरह ही सत्रह वर्णीय इस लघु कविता में तीन पंक्तियों में क्रमशः पाँच, सात, पाँच वर्णों की त्रिपदी में भावों की अभिव्यक्ति होती है।अतः सैनर्यु भी हायकु की तरह एक लघु कविता है जिसमें लघुता ही इसका गुण है और लघुता ही सीमा भी ।
प्राकृतिक बिम्ब एवं कीगो (~) की अनिवार्यता के साथ कुछ सैनर्यु पर मेरा प्रथम प्रयास--
【1】
अक्षय तीज~
मूर्ति निकट खत
रखे विद्यार्थी
【2】
ईद का चांद~
बालक मेमने को
गोद में भींचे
【3】
कार्तिक साँझ~
पालकी में तुलसी
बाराती संग
【4】
कार्तिक साँझ~
कदली पात पर
हल्दी अक्षत
【5】
दुर्गा अष्टमी ~
बकरा सिर लेके
मूर्तिपूजक
【6】
विवाहोत्सव~
शीश पे घट लिए
धार पूजन
(धार = पानी का प्राकृतिक स्रोत)
टिप्पणियाँ
सैनरयु लिखने का
अति सुंदर !
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
शब्दों की सरस धार,
स्वाद सुधा-सा!...... एक नयी विधा से परिचय कराने का सादर आभार सुधाजी!!!
सराहनीय प्रयास।
सभी बहुत लाजवाब हाइकू हैं ...
सुंदर रचनाएँ ।