रविवार, 30 मई 2021

उदास पाम

 

Palm tree


जब से मेरा ये पाम इस कदर उदास है

लगता नही है मन कहीं उसी के पास है


वह तो मुझे बता रहा

मुझे  समझ न आ रहा

कल तक था सहलाता मुझे

अब नहीं लहरा रहा

क्या करूँ अबुलन है ये पर मेरा खास है

लगता नहीं है मन कहीं इसी के पास है

जब से मेरा ये पाम इस कदर उदास है


पहली नजर में भा गया

फिर घर मेरे ये आ गया

रौनक बढ़ा घर की मेरी 

सबका ही मन चुरा गया

माना ये भी सबने कि इससे शुद्ध श्वास है

लगता नहीं है मन कहीं इसी के पास है

जब से मेरा ये पाम इस कदर उदास है



खाद पानी भी दिया

नीम स्प्रे भी किया

झुलसी सी पत्तियों ने सब

अनमना होके लिया

दुखी सा है वो पॉट जिसमें इसका वास है

लगता नहीं है मन कहीं इसी के पास है

जब से मेरा ये पाम इस कदर उदास है।


यदि जानते हैं आप तो

कृपया सलाह दें

मरते से मेरे पाम के 

इस दुख की थाह लें

बस आपकी सलाह ही इकमात्र आस है

लगता नहीं है मन कहीं इसी के पास है

जब से मेरा ये पाम इस कदर उदास है।।


34 टिप्‍पणियां:

Sarita Sail ने कहा…

बढ़िया

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी,पाम की उदासी महसूस करने की संवेदना एक संवेदनशील हॄदय में ही हो सकती है। बहुत ही सुंदर रचना।

गोपेश मोहन जैसवाल ने कहा…

फूल-पौधों का इस इंसानी दुनिया से दिल भर गया है

विश्वमोहन ने कहा…

गुम है पाम, जब से लगा इसका दाम है,
खरीद-फरोख्त की फितरत सिर्फ सरे आम है।
यहाँ वहाँ कहाँ किसी का ज़मीर पास है,
अरे झुलसा नहीं पाम! वह तो सिर्फ उदास है!!!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार सरिता जी!

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद ज्योति जी!प्रोत्साहन हेतु ...। पर मुझे उम्मीद थी कि आप इसके बचाव के लिए कोई सुझाव अवश्य देंगी।

Sudha Devrani ने कहा…

ओह सर!अगर ऐसा है तो मेरा पाम भी...😌😌😩😩
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका...।

Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा आपने खरीद फरोख्त की फितरत सरेआम है.....
लाजवाब पंक्तियों से रचना को पूर्णता प्रदान करने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी!

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

पादप प्रेम का यह अनोखा सा स्वरुप और इसके विविध आयाम, अनुपम छवि प्रस्तुत कर गई।
आपके उदास मन में यह पाम फिर खिल उठा है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।

Anchal Pandey ने कहा…

वाह! सुंदर अभिव्यक्ति। सादर प्रणाम 🙏

शुभा ने कहा…

वाह!बहुत खूब सुधा जी । कही आवश्यकता से अधिक पानी तो नहीं पिला दिया उसे । आशा है आपका पाम शीध्र ही लहलहाएगा ।

Meena Bhardwaj ने कहा…

आपका संवेदनशील पाम उदास है अपने साथियों के बिना...,हृदयस्पर्शी सृजन सुधा जी ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

पौधों को भी साथी की ज़रूरत होती है । कोई एक और पौधा इसके पास रख दीजिए शायद उदासी दूर हो हरिया जाए ।
वैसे अपनी ये कविता भी सुना सकतीं हैं । खुशी से झूम उठेगा पाम ।।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद पुरुषोत्तम जी!आपकी अनमोल प्रतिक्रिया हमेशा उत्साह द्विगुणित कर देती है।
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

सहृदय धन्यवाद प्रिय आँचल जी !

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.आलोक जी!

Sudha Devrani ने कहा…

शायद यही गलती हुई। मुझे लगा गर्मियाँ हैं तो ज्यादा प्यासा होगा...। काश आपकी
आशा मेरी उम्मीद बन जाय...तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार शुभा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

लेकिन इसके पास साथी पाम है...और वो भगवान की कृपा से एकदम स्वस्थ है...एक दिन में ही एक बम्बू और एक पाम मुरझा गये बस तभी से मन दुखी हो गया। सहृदय आभार एवं धन्यवाद आपकी स्नेहासिक्त प्रतिक्रिया हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

जी मुझे इस बारे में जानकारी तो नहीं थी पर मैंने यूँ ही हर पौधे के साथी भी लिए हैं मेरी इस तरह की सोच कई बार बचकानी मानी जाती है...आज आपसे सुना तो अच्छा लगा कि जो मैं सोचती आयी हूँ वैसा होता भी है...। पर अब आपने कहा तो मैं इसे एक नहीं अनेक साथियों के बीच रखुंगी...और हाँ कविता भी सुना देती हूँ शायद कुछ असर हो..😄😄
सादर आभार एवं धन्यवाद आपका मेरे पाम की खैरियत में आपके स्नेहासिक्त सुझाव हेतु।🙏🙏🙏🙏

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (2 -6-21) को "ऐसे ही घट-घट में नटवर"(चर्चा अंक 4084) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर भाव एक पौधे के लिए,सुधा जी अभी कुछ दिन पहले मैंने भी ब्लॉग पर अपने उदास आम के पेड़ के ऊपर एक रचना डाली थी, हम पेड़ पौधों से इतना जुड़ जाते हैं, कि उनका सूखना या मुरझाना अजीब सा दर्द दे जाता है । अभी कुछ दिन पहले मैं जब कोविड से बीमार थी मेरा पाम का पौधा बिलकुल सूख गया,मुझे तो उसे निकालना पड़ा,कुछ ऐसा ही दर्द मुझे भी है,खाली पॉट देखकर ।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद उर्मिला जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!मेरे रचना को मंच प्रदान करने हेतु।

Sudha Devrani ने कहा…

आपके उदास आम की रचना पढ़ी मैंने जिज्ञासा जी! बहुत ही भावपूर्ण लिखा है आपने....और आपके पाम के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ । सही कहा आपने मन जुड़ जाता है इन पेड़ पौधों से....फिर इनके मुरझाने या सूखने से बहुत दुख होता है....फिलहाल मैं इसे बचाने के उपाय कर रही हूँ ...।
तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

Manisha Goswami ने कहा…

पहली नजर में भा गया
फिर घर मेरे ये आ गया
रौनक बढ़ा घर की मेरी
सबका ही मन चुरा गया

वाह! बहुत ही खूबसूरती से आपने इंसान( अपने) और पौधें के बीच के रिश्ते और प्यार को व्यक्त किया है! सच में पौधें बहुत ही अच्छे होते हैं इनसे बात करो तो जबब तो नहीं देते पर ऐसा एहसास होता है कि जैसे हमारे जज्बात और दर्द और प्यार को समझ रहा है पौधों के साथ एक अलग ही सूकून मिलता है!

Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा मनीषा जी आपने कि पौधों को भी हमारे प्यार जज्बात और दर्द का एहसास होता है....
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ऐसा होता है अक्सर ... कई पौधे नहीं पनप पाते और मन सोचता है उदास है ... कुछ कहानी बनाता है ...
पर ये कहानिया अक्सर बुन्नी चाहियें, मन लगा रहता है ... जीवंत रहता है, कल्पना शक्ति रहती अहि मन में ...

Sudha Devrani ने कहा…

जी, सही कहा आपने.....
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।

MANOJ KAYAL ने कहा…

जब से मेरा ये पाम इस कदर उदास है

लगता नही है मन कहीं उसी के पास है

सुंदर रचना

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद मनोज जी!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अब आपका पाम कैसा है ?

Sudha Devrani ने कहा…

अभी भी ठीक नहीं हुआ बेचारा...मैंने पॉट की मिट्टी बदलकर दुबारा रोपा है उसे...। पौधे बेचने वाले के सुझाव पर।
आपने मेरे पाम की सुध ली हृदयतल से धन्यवाद आपका।

Kamini Sinha ने कहा…

संगीता दी ने ठीक कहा सुधा जी,उसे अपनी मीठी-मीठी कविताये सुनाये,आपकी मीठी बातों से वो जरूरु खुश हो जायेगा,विज्ञान भी कहता है कि पौधे सुनते है। जब अच्छा हो जाये आपका पाम तो बताईयेगा जरूर ,सादर नमन

Sudha Devrani ने कहा…

जी, सही कह रहे हैं आप सब...ठीक हो जायेगा तो ये खुशी आप सब से जरूर साझा करूंगी....
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

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