संदेश

जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

चित्र
  आओ बच्चों ! अबकी बारी  होली अलग मनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । ऊँच नीच का भेद भुला हम टोली संग उन्हें भी लें मित्र बनाकर उनसे खेलें रंग गुलाल उन्हें भी दें  छुप-छुप कातर झाँक रहे जो साथ उन्हें भी मिलाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पिचकारी की बौछारों संग सब ओर उमंगें छायी हैं खुशियों के रंगों से रंगी यें प्रेम तरंगे भायी हैं। ढ़ोल मंजीरे की तानों संग  सबको साथ नचाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । आज रंगों में रंगकर बच्चों हो जायें सब एक समान भेदभाव को सहज मिटाता रंगो का यह मंगलगान मन की कड़वाहट को भूलें मिलकर खुशी मनाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । गुझिया मठरी चिप्स पकौड़े पीयें साथ मे ठंडाई होली पर्व सिखाता हमको सदा जीतती अच्छाई राग-द्वेष, मद-मत्सर छोड़े नेकी अब अपनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पढ़िए  एक और रचना इसी ब्लॉग पर ●  बच्चों के मन से

एक मोती क्या टूटा जो उस माल से...

चित्र
एक मोती क्या टूटा जो उस माल से हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी लौट के आ समय पर समय कह रहा फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई  था जो कमजोर झटके में टूटा यहाँँ जोड़ कर गाँठ अब उसमें पड़ ही गयी कौन रुकता यहाँँ है किसी के लिए सोच उसकी भी आगे निकल ही गई तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई   चित्र साभार pixabay से.....

हिन्दी अपनी शान

चित्र
कुण्डलिया छन्द --   प्रथम प्रयास  【1】 हिन्दी भाषा देश की, सब भाषा सिरमोर। शब्दों के भण्डार हैं, भावों के नहिं छोर। भावों के नहिं छोर, सहज सी इसकी बोली। उच्चारण आसान, रही संस्कृत हमजोली। कहे सुधा ये बात, चमकती माथे बिन्दी। भारत का सम्मान, देश की भाषा हिन्दी  【2】 भाषा अपने देश की , मधुरिम इसके बोल। सहज सरल मनभावनी, है हिन्दी अनमोल। है हिन्दी अनमोल, सभी के मन को भाती। चेतन चित्त विभोर, तरंगित मन लहराती। कहे सुधा इक बात, यही मन की अभिलाषा। हिन्दी बने महान , राष्ट्र की गौरव भाषा।। चित्र, साभार pixabay से......

फ़ॉलोअर