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आओ बच्चों ! अबकी बारी होली अलग मनाते हैं

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  आओ बच्चों ! अबकी बारी  होली अलग मनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । ऊँच नीच का भेद भुला हम टोली संग उन्हें भी लें मित्र बनाकर उनसे खेलें रंग गुलाल उन्हें भी दें  छुप-छुप कातर झाँक रहे जो साथ उन्हें भी मिलाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पिचकारी की बौछारों संग सब ओर उमंगें छायी हैं खुशियों के रंगों से रंगी यें प्रेम तरंगे भायी हैं। ढ़ोल मंजीरे की तानों संग  सबको साथ नचाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । आज रंगों में रंगकर बच्चों हो जायें सब एक समान भेदभाव को सहज मिटाता रंगो का यह मंगलगान मन की कड़वाहट को भूलें मिलकर खुशी मनाते हैं जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । गुझिया मठरी चिप्स पकौड़े पीयें साथ मे ठंडाई होली पर्व सिखाता हमको सदा जीतती अच्छाई राग-द्वेष, मद-मत्सर छोड़े नेकी अब अपनाते हैं  जिनके पास नहीं है कुछ भी मीठा उन्हें खिलाते हैं । पढ़िए  एक और रचना इसी ब्लॉग पर ●  बच्चों के मन से

हायकु

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1. जेष्ठ मध्याह्न~ नल पे बैठ काग पीता सलिल 2. रसोईघर~ फूलगोभी के मध्य भुजंग शिशु 3. धान रोपाई~ चहबच्चा में तैरे मृत बालक 4. शरद भोर~ चूनर ओढे़ बालक कन्या पंक्ति में 5. श्वान चीत्कार~ सड़क पे बिखरा रुधिर माँस 6. शरद भोर~ बादलों में निर्मित बिल्ली छवि

अधजली मोमबत्तियां

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 सुबह के नौ या दस बजे होंगे ,पूरी सोसायटी में दीपोत्सव की चहल पहल है ।  पटाखों पर लगे प्रतिबंध के बावजूद भी जगह जगह बिखरे बम-पटाखों के अवशेष साक्ष्य हैं इस बात के कि कितने जोर-शोर से मनाई गयी यहाँ दीपावली । आज सफाई कर्मी भी घर-घर से दीपावली बख्शीश लेते हुए पूरी लगन से ऐसे सफाई में लगे हैं मानो पटाखों के सबूत मिटा रहे हों... स्कूल की छुट्टी के कारण सोसायटी के बच्चे पार्क में धमा-चौकड़ी मचा रहे हैं । कुछ बच्चे ढ़िस्क्यांऊ-ढ़िस्क्यांऊ करते हुये खिलौना गन से पटाखे छुड़ा रहे हैं ,तो कुछ अपने-अपने मन पसंद खेलों में व्यस्त हैं ।  एक ऐसी टोली भी है यहाँ बच्चों की,जो अब अपने को बच्चा नहीं मानते; बारह - तेरह साल के ये बच्चे हर वक्त अपने को बड़ा साबित करने के लिए बेताब रहते हैं । ये सभी बैंच के इर्द-गिर्द अपने अनोखे अंदाज में खड़े होकर बीती रात पटाखों के साथ की गयी कारस्तानियां बारी -बारी से बयां कर रहे हैं ।  जब रोहन ने हाथ का इशारा करते हुए पूरे जोश में बताया कि उसका रॉकेट सामने वाली बिल्डिंग की छत से टकराते - टकराते बचा तो उसके इशारे के साथ ही सबकी नजरें सामने वाली छत तक जाकर वापस...

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