सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात

किसको कैसे बोलें बोलों, क्या अपने हालात सम्भाले ना सम्भल रहे अब,तूफानी जज़्बात मजबूरी वश या भलपन में, सहे जो अत्याचार जख्म हरे हो कहते मन से , करो तो पुनर्विचार तन मन ताने देकर करते साफ-साफ इनकार, बोले अब न उठायेंगे, तेरे पुण्यों का भार तन्हाई भी ताना मारे, कहती छोड़ो साथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात सबकी सुन सुन थक कानों ने भी सुनना है छोड़ा खुद की अनदेखी पे आँखें भी रूठ गई हैं थोड़ा ज़ुबां लड़खड़ा के बोली अब मेरा भी क्या काम चुप्पी साधे सब सह के तुम कर लो जग में नाम चिपके बैठे पैर हैं देखो, जुड़ के ऐंठे हाथ सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात रूह भी रहम की भीख माँगती, दबी पुण्य के बोझ पुण्य भला क्यों बोझ हुआ, गर खोज सको तो खोज खुद की अनदेखी है यारों, पापों का भी पाप ! तन उपहार मिला है प्रभु से, इसे सहेजो आप ! खुद के लिए खड़े हों पहले, मन मंदिर साक्षात सम्भाले ना सम्भल रहे अब तूफानी जज़्बात ।। 🙏सादर अभिनंदन एवं हार्दिक धन्यवादआपका🙏 पढ़िए मेरी एक और रचना निम्न लिंक पर .. ● तुम उसके जज्बातों की भी कद्र कभी करोगे
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 26 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद यशोदा जी! मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में साझा करने हेतु...
हटाएंसादर आभार।
सुधा दी,किशोरावस्था की उलझन को आपने बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया हैं। हर इंसान की किशोरावस्था में यहीं हालत होती हैं।
जवाब देंहटाएंजी ज्योति जी!तहेदिल से धन्यवाद आपका मेरे विचारों से सहमत होने हेतु...
हटाएंसस्नेह आभार।
उलझन में हूँ समझ न आता
जवाब देंहटाएंऐसे मुझको कुछ नहीं भाता
बड़ा हो गया या हूँ बच्चा !
क्या मैं निपट अकल का कच्चा ? बहुत सुंदर रचना किशोरावस्था की उलझन को व्यक्त करती।
सस्नेह आभार भाई !
जवाब देंहटाएंसुनो माँ अब तो बात मेरी
जवाब देंहटाएंऔर आर करो या पार!
छोटा हूँ तो बचपन सा लाड दो
हूँ बडा़ तो दो अधिकार !
टीवी मोबाइल हो या कम्प्यूटर
मेरे लिए सब लॉक
थोड़ी सी गलती कर दूँ तो
सब करते हो ब्लॉक... बेहतरीन सृजन आदरणीया दीदी 👌
बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी! उत्साह वर्धन हेतु...
हटाएंसस्नेह आभार।
ये किशोरावस्था होती ही ऐसी है ...।बहुत ही उम्दा सृजन सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद,शुभा जी!
हटाएंबेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद एवं आभार सखी!
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद जोशी जी !
हटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी रचना साझा करने हेतु।
जवाब देंहटाएंअभूतपूर्व जी, हमारे ब्लॉग पर भी जरूर देखें प्रेरणादायक सुविचार
जवाब देंहटाएं