शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

नारी : अतीत से वर्तमान तक



True women fighters of India


कुछ करने की चाह लिए
अस्तित्व की परवाह लिए 
मन ही मन सोचा करती थी
बाहर दुनिया से डरती थी......

भावों में समन्दर सी गहराई
हौसले की उड़ान भी थी ऊँची 
वह कैद चहारदीवारी में भी,
सपनों की मंजिल चुनती थी....

जग क्या इसका आधार है क्या ?
धरा आसमां के पार है क्या,?
अंतरिक्ष छानेगी वह इक दिन
ख्वाबों में उड़ाने भरती थी.....

हिम्मत कर निकली जब बाहर,
देहलीज लाँघकर आँगन तक ।
आँगन खुशबू से महक उठा,
फूलों की बगिया सजती थी........

अधिकार जरा सा मिलते ही,
वह अंतरिक्ष तक हो आयी...
जल में,थल में,रण कौशल में
सक्षमता अपनी  दिखलायी.......

बल, विद्या, हो या अन्य क्षेत्र
इसने परचम अपना फहराया
सबला,सक्षम हूँ, अब तो मानो
अबला कहलाना कब भाया........

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जब सृष्टि सृजन की थी शुरूआत
सोच - विचार के बनी थी बात.......
क्योंकि.......

दिल से दूर पुरुष था तब,
नाकाबिल, अक्षम, अनायास...
सृष्टि सृजन , गृहस्थ जीवन
हेतु किया था सफल प्रयास.....

पुरूषार्थ जगाने, प्रेम उपजाने,
सक्षमता  का आभास कराने ।
कोमलांगी नाजुक गृहणी बनकर,
वृषभकन्धर पर डाला था भार.........

अभिनय था तब अबला होने का
शक्ति हीन कब थी दुर्गा ?......
भ्रम रहा युग-युग से महिषासुर को
रणचण्डी को हराने का.......!!!!!


                                    चित्र: साभार, गूगल से


32 टिप्‍पणियां:

मन की वीणा ने कहा…

अप्रतिम अनुपम सटीक। सार्थक।

रवीन्द्र भारद्वाज ने कहा…

पुरूषार्थ जगाने, प्रेम उपजाने,
सक्षमता का आभास कराने ।
कोमलांगी नाजुक गृहणी बनकर,
वृषभकन्धर पर डाला था भार.........
अप्रतिम रचना आदरणीया
बधाई
सादर

Meena Bhardwaj ने कहा…

नारी के गुणों और शक्ति के मनभावन और प्रभावशाली स्वरूप के दर्शन करवाती अत्यंत सुन्दर रचना ।

Sudha Devrani ने कहा…

आपका हार्दिक धन्यवाद कुसुम जी !
सस्नेह आभार...

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार रवीन्द्र जी !

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी!
सस्नेह आभार..

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत सुन्दर

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद, अनीता जी !

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

बहुत सुंदर सुधा जी शुभकामनाएं

Sudha Devrani ने कहा…

आपका हृदयतल से आभार रितु जी !

Anuradha chauhan ने कहा…

बेहतरीन रचना सखी

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार अनुराधा जी !

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (8 -3-2020 ) को " अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस " (चर्चाअंक -3634) पर भी होगी

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा

व्याकुल पथिक ने कहा…

नारीत्व की महिमा के संदर्भ में कहा गया है कि नारी प्रेम ,सेवा एवं उत्सर्ग भाव द्वारा पुरुष पर शासन करने में समर्थ है। वह एक कुशल वास्तुकार है, जो मानव में कर्तव्य के बीज अंकुरित कर देती है। यह नारी ही है जिसमें पत्नीत्व, मातृत्व ,गृहिणीतत्व और भी अनेक गुण विद्यमान हैं। इन्हीं सब अनगिनत पदार्थों के मिश्रण ने उसे इतना सुंदर रूप प्रदान कर देवी का पद दिया है। हाँ ,और वह अन्याय के विरुद्ध पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष से भी पीछे नहीं हटती है। अतः वह क्रांति की ज्वाला भी है।नारी वह शक्ति है जिसमें आत्मसात करने से पुरुष की रिक्तता समाप्त हो जाती है।
सृष्टि की उत्पादिनी की शक्ति को मेरा नमन।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद कामिनी जी मेरी रचना साझा करने के लिए...।
सादर आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

नारी के प्रति आपके भाव व विचार अत्यंत सराहनीय हैं शशि जी!आप जैसे विचारवानों के कारण ही इतना कुछ होने के बावजूद भी नारी का अस्तित्व बचा रह पाया है समाज में...
नमन आपको एवं आपके विचारों को एवं तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(१४-0६-२०२०) को शब्द-सृजन- २५ 'रण ' (चर्चा अंक-३७३२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

स्त्री-गरिमा की दास्तान अनंत और अविराम है जो आए दिन नई-नई इबारत लिखती रहती है।

स्त्री-अस्मिता का विमर्श हरेक काल-खंड में इतिहास रचता रहा है।

सुंदर सृजन।

बधाई एवं शुभकामनाएँ।

लिखते रहिए।





Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद अनीता जी !रचना साझा करने के लिए।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद जोशी जी !

Sudha Devrani ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार रविन्द्र जी!

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

अधिकार जरा सा मिलते ही,
वह अंतरिक्ष तक हो आयी...
जल में,थल में,रण कौशल में
सक्षमता अपनी दिखलायी.......बहुत सुंदर ।

शुभा ने कहा…

वाह!सुधा जी ,क्या बात है !बेहतरीन ।

Sudha Devrani ने कहा…

सस्नेह आभार भाई!

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद शुभा जी!
सादर आभार।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, सुधा दी।

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना सखी

मन की वीणा ने कहा…

ये आज भी इतनी ही सार्थक है जितनी पहली बार पढ़ थी ।
बहुत बहुत सुंदर सृजन सुधा जी।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद अभिलाषा जी!

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी!

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