मैं मन्दोदरी बनूँ कैसे....?
प्रिय ! मैं हारा, दुख का मारा लौट के आया तेरे द्वार...... अब नयी सरकार जागी जनता !! भ्रष्टाचार पर मार... "तिस पर " सी.बी.आई.के छापे मुझ जैसे डर के भागे... पछतावा है मुझको अब प्रिय ! मैने तुझको छोड़ा... मतलबी निकले वे सब नाता जिनसे मैंने जोड़ा..... आज मेरे दुख की इस घड़ी में उन सबने मुझसे है मुँह मोड़ा !!! अब बस तू ही है मेरा आधार ! मेरी धर्मपत्नी, मेरा पहला प्यार ! है तुझसे ही सम्भव,अब मेरा उद्धार । तू क्षमाशील, तू पतिव्रता.... प्रिय ! तू बहुत ही चरित्रवान, सर्वगुण सम्पन्न है तू प्रिय ! तुझ पर प्रसन्न रहते भगवान !! अब जप-तप या उपवास कर प्रभु से माँगना ऐसा वरदान!!! वे क्षमा मुझे फिर कर देंगे..... मैं पुनः बन जाउँगा धनवान!!! आखिर मैं तेरा पति-परमेश्वर हूँ कर्तव्य यही है फर्ज यही , प्रिय ! मैं ही तो तेरा ईश्वर हूँ !!! ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; हाँ ! सही कहा ; पतिदेव ! कर्तव्य और फर्ज भी है यही मेरा और यही कामना भी रही सदैव कि- सफलता मिले तुम्ह