करते रहो प्रयास (दोहे)
1. करते करते ही सदा, होता है अभ्यास । नित नूतन संकल्प से, करते रहो प्रयास।। 2. मन से कभी न हारना, करते रहो प्रयास । सपने होंगे पूर्ण सब, रखना मन में आस ।। 3. ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर । करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।। 4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास । सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।। 5. प्रभु सुमिरन करके सदा, करते रहो प्रयास । सच्चे मन कोशिश करो, मंजिल आती पास ।। हार्दिक अभिनंदन🙏 पढ़िए एक और रचना निम्न लिंक पर उत्तराखंड में मधुमास (दोहे)

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 27 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद आ.यशोदा जी मेरी रचना को मुखरित मौन के मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर आभार
गलती भी तुम्हारी सिर्फ़ शरारत,
जवाब देंहटाएंदुख अपना गर तुम्हें मुसीबत ।
दुनिया अपनी उजड सी जाती,
आँखों में दिखे गर थोड़ी नफरत ।
कभी कभीजीवन में किसी के मिलने के बाद इन्सान सही अर्थों में खुद से मिलता है। नई शख्शियत का उदय होता है भीतर। मन के रुहानी एहसासों की प्रेमिल अभिव्यक्ति प्रिय सुधा जी। मन को छू गईं ये सुंदर रचना। यूं ही प्रेम राग रचती रहिए 👌👌🙏🌷🌷🌷
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद रेणु जी!आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया हमेशा रचना को सार्थकता प्रदान करती हैं।
हटाएंअंतस से नि:सृत अनुराग के निश्छल आकुल भाव!
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका।
हटाएंआकुलन की व्याकुल भाषा
जवाब देंहटाएंप्रेम सिक्त सुंदर रचना ।
प्रेम व्यथा के सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंअत्यंत आभार एवं धन्यवाद आ.कैलाश जी !
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