मंगलवार, 14 जनवरी 2020

लोहड़ी मनाएं


Lohri


चलो आओ दोस्तों मिलकर लोहड़ी मनाएं
हम सोसायटी वाले हैं चलो सर्वधर्म लोहड़ी
मनाकर भाईचारा बढ़ाएं !
पड़ौसी कौन है ये तो हम नहीं जानते,
अगल-बगल सोसायटी में किसी को नहीं पहचानते,
पर इसमें क्या ?   चलो थोड़ा हाय हैलो ही कर आयें !
हम सोसायटी वाले हैं सर्वधर्म लोहड़ी मनाएं !

हाँ आज पूरा दिन तेज बारिश
और हाड़कंपाती ठंड है
दिन भर ब्रांडेड महंगे ऊनी कपड़ों से
अपना तो जिस्म बंद है
सोसायटी मेंबर्स से अच्छी रकम वसूली है
डीजे नाईट है.....हम आधुनिक हैं
सो वन पीस जरूरी है.....
कहाँ पता चलता है कि अपने पैर
वन पीस में ठंड से कंपकंपाएं
या डीजे की थाप पर थिरकाएं
आओ दोस्तों हम तो सर्वधर्म लोहड़ी मनाएं !

डीजे के कानफोड़ू संगीत से
अपनी सोसायटी में रौनक बढ़ी है
क्या फर्क पड़ता है,अगर छात्रों की
पढ़ाई में कुछ अड़चन पड़ी है
हमें क्या....किसी का बीमार बुजुर्ग
कानफोड़ू संगीत से परेशान है....
ये डीजे नाईट तो अपनी
सोसायटी की शान है
पुरातनता को गाँँव में छोड़
हम कुछ आधुनिक हो जाएं
चलो आओ दोस्तों मिलकर लोहड़ी मनाएं।
                                   
                                         चित्र साभार गूगल से...

28 टिप्‍पणियां:

Subodh Sinha ने कहा…

अतीत में किसानों द्वारा खलिहान में नए फसल के अच्छे परिणाम आ जाने पर प्रतिदान स्वरूप प्रकृति (तथाकथित भगवान्) को फसल का पहला हिस्सा भेंट/प्रसाद-स्वरुप चढाए जाने की परम्परा रही होगी जो निश्चित रूप से किसानों का त्योहार रहा होगा।
जो कालान्तर में कुछ चतुर और लोलुप ब्राह्मणों द्वारा दान-दक्षिणा में तब्दील कर दिया गया होगा। रहा-सहा कसर हमारे बुद्धिजीवी वर्ग के कुछ लोगों ने संस्कृति और सभ्यता के संरक्षण के नाम पर इसे पुण्य प्राप्ति का जरिया भी बनाया होगा।
आज इन सारे अपभ्रंश का मिलाजुला रूप हमारे-आपके सामने है। यह त्योहार अगर है भी तो शहर का तो कतई नहीं ... बस शहरीकरण कर दिया गया है।
इसी समाज के हिस्सा होने के नाते सारी विसंगतियाँ हमें आत्मसात ना चाहते हुए भी करनी पड़ती है .. बहके ही अनमने मन से ही सही ... बस यूँ ही ...

Sudha Devrani ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा आपने शहरीकरण हो रहा है त्यौहारों का
आधुनिकता और दिखावा इतना कि हम भला बुरा भी नहीं समझ पा रहे....
हृदयतल से धन्यवाद आपका उत्साहवर्धन हेतु...
सादर आभार।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सुधा दी, आज लगभग हर त्योहार का यहीं हाल हैं। हर कोई सिर्फ अपने मजे की सोच रहा हैं । बहुत सुंदर और सटीक अभिव्यक्ति।

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 15 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Sudha Devrani ने कहा…

जी ज्योति जी,आत्मिक आभार एवं धन्यवाद आपका....।

Sudha Devrani ने कहा…

हृदयतल से धन्यवाद यशोदा जी मुखरित मौन में मेरी रचना साझा करने के लिए।
सादर आभार।

Meena sharma ने कहा…

हम पाश्चात्य संस्कृति और अंग्रेजी सभ्यता से बहुत कुछ सीख लिए पर उनकी अच्छाइयाँ नहीं सीखे। काश उनसे शांति व अनुशासन का पालन भी सीख लेते। आपकी यह रचना बहुत सटीक और अच्छी लगी।

anita _sudhir ने कहा…

सटीक प्रहार आज के परिपेक्ष्य में ,
आप की वेदना शब्दो मे बखूबी आयी है ।

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

सुधा जी सर्वप्रथम लोहड़ी एवम् मकरसंक्रांति की शुभकामनाएं
आधुनिक समाज की यही विडम्बना है
किसी भी त्यौहार के वास्तविक महत्व को ना समझते हुए सिर्फ मौज मस्ती ही इसका पर्याय रह गया है ।

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सटीक प्रहार , त्योहारों का भी आधुनिकीकरण हो गया है उनमें निहित सुंदर और समर्पित भाव को गये हैं दिखावा और द्रव हानी रह गई है।
बहुत सुंदर सृजन।

Sudha Devrani ने कहा…

जी मीन जी सही कहा आपने....
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आपका।

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी !
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

जी रितु जी उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका...
आपको भी शुभकामनाएं।

Sudha Devrani ने कहा…

जी कुसुम जी !आभारी हूँ आपके उत्साहवर्धन हेतु....
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

Lokesh Nashine ने कहा…

बेहद खूब

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक आभार लोकेश जी!

संजय भास्‍कर ने कहा…

डीजे के कानफोड़ू संगीत से
अपनी सोसायटी में रौनक बढ़ी है
क्या फर्क पड़ता है,अगर छात्रों की
पढ़ाई में कुछ अड़चन पड़ी है
सुंदर सटीक प्रहार त्योहारों के आधुनिकीकरण पर जो की अब एक दिखावा रह गया है समाज में

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ संजय जी तहेदिल से धन्यवाद आपका।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

Meena Bhardwaj ने कहा…

डीजे के कानफोड़ू संगीत से
अपनी सोसायटी में रौनक बढ़ी है
क्या फर्क पड़ता है,अगर छात्रों की
पढ़ाई में कुछ अड़चन पड़ी है...
कटु यथार्थ प्रस्तुत करती सुन्दर रचना सुधा जी ।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ मीना जी हृदयतल से धन्यवाद आपका।

Abhilasha ने कहा…

बेहतरीन रचना सखी
मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 💐

Sudha Devrani ने कहा…

अत्यंत आभार एवं धन्यवाद अभिलाषा जी!आपको भी मकर संक्रांति की अनंत शुभकामनाएं।

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर
लोहिड़ी और मकर-संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हर त्योहार का आज रूप बदल चुका है । लोहड़ी मुख्य रूप से पंजाब में मनाई जाती थी । किसानों का ही त्योहार रहा होगा ।मकर संक्रांति पर भी उत्तर भारत के लोग दान आदि करते रहे हैं । दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाते हैं ।यूँ हम लोग होली पर नए अनाज की पूजा करते हैं । लेकिन आज कल हर चीज़ का बाज़ारीकरण हो गया है । शोर शराबा ही शायद खुशी जाहिर करने का मात्र ज़रिया रह गया है ।
पूरी रचना में तीक्ष्ण प्रहार किया गया है । सोसाइटी में पड़ोसी को नहीं जानते लेकिन हाय हैलो कर आएँ ..... न बुज़ुर्गों की चिंता न बच्चों की पढ़ाई की ।
धारदार रचना ।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद भारती जी!
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.संगीता जी!रचना के मर्म तक पहुंचकर उत्साहवर्धन करने हेतु।

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